सभी देशवासियों को हृदय की गहराइयों से धनतेरस दीपावली गोवर्धन पूजा भैया दूज की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं भाकियू (बलराज) प्रदेश अध्यक्ष चौधरी शौकत अली चेची

आपसी भाईचारा सौहार्द प्यार सम्मान अमन चैन तरक्की का प्रतीक माने गए हैं लेकिन इस दौर में यह बातें धूमिल दिखाई दे रही है-चौधरी शौकत अली चेची भाकियू (बलराज)प्रदेश अध्यक्ष



दुनिया आनी जानी हैं इतिहास लिखे जाते हैं सभी जाति धर्म मैं त्योहारों को अलग अलग परंपराओं से मनाए जाते हैं त्योहारों का मुख्य उद्देश्य आपसी भाईचारा सौहार्द प्यार सम्मान अमन चैन तरक्की का प्रतीक माने गए हैं लेकिन इस दौर में यह बातें धूमिल दिखाई दे रही है


शूरवीर अवतार महापुरुष ओलिया पैगंबर देवी देवताओं के नाम से हम सभी को अच्छी प्रेरणा सौहार्द सुख समृद्धि का संदेश मिलता है जिससे हम सच्चे मार्ग से नहीं भटके त्योहारों को पवित्र धर्म ग्रंथों का अनुसरण कर उनके आदर्शों का पालन कर देश दुनिया और समाज को मजबूती व तरक्की की तरफ लाते हैं




जैसे कि पवित्र त्योहार धनतेरस दीपावली भैया दूज



वैसे तो हर त्योहारों में हर कहानियों में शोधकर्ताओं के अलग-अलग विचारों से अवगत कराया गया है


अब एक कड़ी में रामचंद्र जी ऐतिहासिक महापुरुष थे और इस बात के पर्याप्त परिणाम हैं कुछ शोधकर्ता मानते हैं रामचंद्र जी का जन्म 7323 ईसा पूर्व में हुआ था कुछ शोधकर्ता के अनुसार 5114 ईसा पूर्व में 10 जनवरी के दिन 12:05 पर दिन में चैत्र मास( मार्च )की नवमी के रूप में मनाया जाता रहा है अद्भुत बाल्मीकि रामायण के अनुसार रामचंद्र जी 11000 वर्ष धरती पर रहे त्रेता युग के अंत तक फिर हुआ द्वापर युग 8 80 100 वर्ष पहले राम जी का जन्म हुआ बताया जाता है देवी सीता जी वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राजा जनक को घड़े से प्राप्त हुई थी इसीलिए सीता नवमी को शुभ तिथि माना जाता है रामायण और अन्य ग्रंथों में बताया गया है राजा जनक के राज में कई वर्षों से वर्षा नहीं होने के कारण ऋषि यों के द्वारा हल चलाने से वर्षा होगी का सुझाव दिया (बिहार प्रदेश )स्थित सोम मढी का पुनौरा गांव था जहां राजा जनक ने हल चलाया हल से एक कलश अटक गया कन्या निकली राजा जनक के कोई संतान नहीं थी कन्या का नाम सीता रखा और पुत्री मान लिया अद्भुत रामायण में उल्लेख है कि रावण कहता है जब मैं भूलवश अपनी पुत्री से प्रणय की इच्छा कर्म तब वही मेरी मृत्यु का कारण बने अद्भुत रामायण में उल्लेख है कि गरतस्यमद नामक ब्राह्मण लक्ष्मी को पुत्री रूप में पाने की कामना से प्रतिदिन एक कलश में कुश के अग्र भाग से मंत्रोच्चारण के साथ दूध की बूंदें डालता था रावण एक दिन ब्राह्मण की कुटिया में पहुंचकर ऋषियों को मारकर कलश रक्त से भर दिया कलश लेकर मंदोदरी को सौंप दिया रावण ने कहा यह तेज विश है इसे छुपा कर रख दो रावण की उपेक्षा से मंदोदरी दुखी थी एक दिन मौका देख कर मंदोदरी ने कलश के रक्त को पीलिया रक्त पीने से मंदोदरी गर्भवती हो गई लोक लाज के डर से मंदोदरी ने अपनी पुत्री को कलश में रखकर उस स्थान पर छुपा दिया जहां से जनक को कलश में से सीता जी प्राप्त हुई राजा दशरथ के तीन रानियां थी कौशल्या केकई और सुमित्रा जिन के चार पुत्र थे सबसे बड़े रामचंद्र जी लक्ष्मण भरत और शत्रुघ्न कौशल्या रामचंद्र जी की माता थी और माता केकई के कहने से रामचंद्र जी ने 14 वर्ष का वनवास काटा जिसमें लक्ष्मण जी और देवी सीता जी साथ थी


इतिहास में यह भी कहा गया है श्रवण कुमार अपने अंधे माता पिता को तीरथ कराने के लिए ले जा रहे थे माता पिता के आदेश अनुसार श्रवण कुमार पानी की प्यास लगने पर राजा दशरथ के तालाब से घड़े से पानी भरा तो राजा दशरथ ने जानवर समझ कर तीर छोड़ दिया जो श्रवण की छाती मैं लगा और राजा दशरथ श्रवण कुमार जी के पास पहुंचे उन्होंने सारा हाल बताया सरवन के अनुसार राजा दशरथ श्रवण के माता-पिताओं को पानी पीने के लिए उनके पास पहुंचे और श्रवण की मृत्यु का कारण बताया सरवन के माता पिता ने राजा दशरथ को श्राप दिया कि जिस वजह से हम अपने बेटे के वियोग में मर रहे हैं तुमको भी वहीं सजा मिलेगी इस वजह से 14 वर्ष का वनवास रामजी को काटना पड़ा मगर दिलचस्प यह है रामचंद्र जी ने मां-बाप की आज्ञा का पालन कर बेटे का फर्ज निभाया और लक्ष्मण ने भाई होने का गौरव हासिल किया और माता सीता ने पत्नी होने का फर्ज अदा किया लेकिन आज के इतिहास में इस तरह की कहानियां नजर नहीं आती अपनी मुक्ति के लिए रावण ने देवी सीता का हरण किया हनुमान जी और वानर सेनाओं ने सेवक होने का गौरव हासिल किया तथा जटायु आदि ने सच्चाई के लिए अपने प्राण त्याग दिए और ग्रंथों में अपना नाम दर्ज कराया इतिहास और ग्रंथों मे कहानियों को दर्शाने का मुख्य उद्देश्य त्योहारों के माध्यम से जागरूकता का संदेश माना गया है


ताकि हमें गलतियों से नुकसान का खामियाजा न भुगतना पड़े और असली मकसद की गहराई तक पहुंच कर पाप व पुण्य पर खोज कर सकें एक भाई राम थे हनुमान जी…
दुनिया आनी जानी हैं इतिहास लिखे जाते हैं सभी जाति धर्म मैं त्योहारों को अलग अलग परंपराओं से मनाए जाते हैं त्योहारों का मुख्य उद्देश्य आपसी भाईचारा सौहार्द प्यार सम्मान अमन चैन तरक्की का प्रतीक माने गए हैं लेकिन इस दौर में यह बातें धूमिल दिखाई दे रही है शूरवीर अवतार महापुरुष ओलिया पैगंबर देवी देवताओं के नाम से हम सभी को अच्छी प्रेरणा सौहार्द सुख समृद्धि का संदेश मिलता है जिससे हम सच्चे मार्ग से नहीं भटके त्योहारों को पवित्र धर्म ग्रंथों का अनुसरण कर उनके आदर्शों का पालन कर देश दुनिया और समाज को मजबूती व तरक्की की तरफ लाते हैं


जैसे कि पवित्र त्योहार धनतेरस दीपावली भैया दूज


वैसे तो हर त्योहारों में हर कहानियों में शोधकर्ताओं के अलग-अलग विचारों से अवगत कराया गया है


अब एक कड़ी में रामचंद्र जी ऐतिहासिक महापुरुष थे और इस बात के पर्याप्त परिणाम हैं कुछ शोधकर्ता मानते हैं रामचंद्र जी का जन्म 7323 ईसा पूर्व में हुआ था कुछ शोधकर्ता के अनुसार 5114 ईसा पूर्व में 10 जनवरी के दिन 12:05 पर दिन में चैत्र मास( मार्च )की नवमी के रूप में मनाया जाता रहा है अद्भुत बाल्मीकि रामायण के अनुसार रामचंद्र जी 11000 वर्ष धरती पर रहे त्रेता युग के अंत तक फिर हुआ द्वापर युग 8 80 100 वर्ष पहले राम जी का जन्म हुआ बताया जाता है देवी सीता जी वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राजा जनक को घड़े से प्राप्त हुई थी इसीलिए सीता नवमी को शुभ तिथि माना जाता है रामायण और अन्य ग्रंथों में बताया गया है राजा जनक के राज में कई वर्षों से वर्षा नहीं होने के कारण ऋषि यों के द्वारा हल चलाने से वर्षा होगी का सुझाव दिया (बिहार प्रदेश )स्थित सोम मढी का पुनौरा गांव था जहां राजा जनक ने हल चलाया हल से एक कलश अटक गया कन्या निकली राजा जनक के कोई संतान नहीं थी कन्या का नाम सीता रखा और पुत्री मान लिया अद्भुत रामायण में उल्लेख है कि रावण कहता है जब मैं भूलवश अपनी पुत्री से प्रणय की इच्छा कर्म तब वही मेरी मृत्यु का कारण बने अद्भुत रामायण में उल्लेख है कि गरतस्यमद नामक ब्राह्मण लक्ष्मी को पुत्री रूप में पाने की कामना से प्रतिदिन एक कलश में कुश के अग्र भाग से मंत्रोच्चारण के साथ दूध की बूंदें डालता था रावण एक दिन ब्राह्मण की कुटिया में पहुंचकर ऋषियों को मारकर कलश रक्त से भर दिया कलश लेकर मंदोदरी को सौंप दिया रावण ने कहा यह तेज विश है इसे छुपा कर रख दो रावण की उपेक्षा से मंदोदरी दुखी थी एक दिन मौका देख कर मंदोदरी ने कलश के रक्त को पीलिया रक्त पीने से मंदोदरी गर्भवती हो गई लोक लाज के डर से मंदोदरी ने अपनी पुत्री को कलश में रखकर उस स्थान पर छुपा दिया जहां से जनक को कलश में से सीता जी प्राप्त हुई राजा दशरथ के तीन रानियां थी कौशल्या केकई और सुमित्रा जिन के चार पुत्र थे सबसे बड़े रामचंद्र जी लक्ष्मण भरत और शत्रुघ्न कौशल्या रामचंद्र जी की माता थी और माता केकई के कहने से रामचंद्र जी ने 14 वर्ष का वनवास काटा जिसमें लक्ष्मण जी और देवी सीता जी साथ थी इतिहास में यह भी कहा गया है श्रवण कुमार अपने अंधे माता पिता को तीरथ कराने के लिए ले जा रहे थे माता पिता के आदेश अनुसार श्रवण कुमार पानी की प्यास लगने पर राजा दशरथ के तालाब से घड़े से पानी भरा तो राजा दशरथ ने जानवर समझ कर तीर छोड़ दिया जो श्रवण की छाती मैं लगा और राजा दशरथ श्रवण कुमार जी के पास पहुंचे उन्होंने सारा हाल बताया सरवन के अनुसार राजा दशरथ श्रवण के माता-पिताओं को पानी पीने के लिए उनके पास पहुंचे और श्रवण की मृत्यु का कारण बताया सरवन के माता पिता ने राजा दशरथ को श्राप दिया कि जिस वजह से हम अपने बेटे के वियोग में मर रहे हैं तुमको भी वहीं सजा मिलेगी


इस वजह से 14 वर्ष का वनवास रामजी को काटना पड़ा मगर दिलचस्प यह है रामचंद्र जी ने मां-बाप की आज्ञा का पालन कर बेटे का फर्ज निभाया और लक्ष्मण ने भाई होने का गौरव हासिल किया और माता सीता ने पत्नी होने का फर्ज अदा किया लेकिन आज के इतिहास में इस तरह की कहानियां नजर नहीं आती अपनी मुक्ति के लिए रावण ने देवी सीता का हरण किया हनुमान जी और वानर सेनाओं ने सेवक होने का गौरव हासिल किया तथा जटायु आदि ने सच्चाई के लिए अपने प्राण त्याग दिए और ग्रंथों में अपना नाम दर्ज कराया इतिहास और ग्रंथों मे कहानियों को दर्शाने का मुख्य उद्देश्य त्योहारों के माध्यम से जागरूकता का संदेश माना गया है ताकि हमें गलतियों से नुकसान का खामियाजा न भुगतना पड़े और असली मकसद की गहराई तक पहुंच कर पाप व पुण्य पर खोज कर सकें एक भाई राम थे हनुमान जी सेवक थे जिन्होंने लक्ष्मण की जान बचाई एक भाई रावण थे जिन्होंने सब कुछ ज्ञान होने के अनुसार उसका दुरुपयोग किया और अपनों के दुश्मन बन अपने भाई विभीषण के माध्यम से रामचंद्र जी को सच्चाई बता कर विभीषण द्वारा रावण की मृत्यु हुई और अन्य योद्धाओं का पतन कराने में विभीषण ने सच्चाई का मार्ग अपनाकर रामचंद्र जी के द्वारा श्रीलंका का राजा बना मजेदार बात यह है राजा दशरथ को गद्दी छोड़ने के बाद 14 वर्ष का वनवास पूरा नहीं हुआ भाई भरत रामचंद्र जी के पास जाकर राज गद्दी संभालने का अनुमोदन किया मगर माता पिता की आज्ञा का हवाला देकर रामचंद्र जी ने इंकार कर दिया और भरत ने रामचंद्र जी की चरण खड़ाहूं ले जाकर रामचंद्र जी के अयोध्या वापस आने तक राजकाज को चरण खड़ाऊ को आधार बनाकर चलाया रामचंद्र जी लक्ष्मण जी सीता जी वन से वापस अयोध्या जब आए उसी खुशी मैं दीप जलाकर खुशियां मनाई और उसी उपलक्ष्य में अभी तक दीपावली के नाम से त्योहार मनाया जाता है



कुछ लोग भगवान श्री कृष्ण जी और भगवान विष्णु जी को भी देश और संसार में दीपावली पवित्र त्यौहार को जोड़कर देखते हैं धनतेरस त्योहार मुख्य रूप से इसी कड़ी में नए बर्तन खरीदना दर्शाया गया है जिसमें लक्ष्मी जी की प्राप्ति होती है कुछ लोग आभूषण भी खरीदते हैं आज के युग में कुछ लोग अपनी सोच के अनुसार और बहुत सारे सामानों की खरीदारी करते हैं दीपावली के पावन पर्व पर लक्ष्मी जी की आदि देवी-देवताओं की भी पूजा की जाती है सुख शांति तरक्की और समृद्धि के 2 दिन के बाद भैया दूज का यानी भाई बहन का पवित्र बंधन त्यौहार मनाया जाता है जिसमें भाई बहन के मिलन को मुख्य बिंदुओं पर दर्शाया गया है जो खून के रिश्ते को मजबूती देता है उमंग और जिम्मेदारी का एहसास कराता है


सौ बात की एक बात हमारे देश में साल में हजारों पवित्र त्यौहार मनाए जाते हैं जो हमारे पूर्वजों ने हमको एक परंपरा दी जिससे कि हम गलत सही मैं अंतर समझ कर सच्चाई के रास्ते से न भटके उस को ध्यान में रखकर आने वाली पीढ़ी को भी सत्य के रास्ते पर चलने की प्रेरणा दें और त्योहारों की सच्चाई को समझने में कोई कोताही न बरतें अंत में यही कहूंगा रास्ता कितना भी कठिन हो लेकिन सच का दामन कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए


जय जवान जय किसान जय हिंद जय भारत वासी पवित्र त्योहारों की खुशियां मनाओ आतिशबाजी से दूरी बनाओ आपसी भाईचारे को मजबूती मिले खुशियों के दीप जलाओ