#ऑनलाइन स्कूल #कैसे, कितना और कब






      डॉ शशि धनगर

(संस्थापक निदेशक) 7 वंडर्स स्कूल,ओमिक्रोन-1, ग्रेटर नोएडा


 


ग्रेटर नॉएडा (भारत भूषण):-1 जुलाई 2020 से पुनः अधिकांश स्कूल (Online) खुल जायेंगे। क्या बच्चे पुनः 6 घण्टों की क्लास और 2 घण्टों का होमवर्क (जो ऑनलाइन ही होता है) करने के लिये फिर से मोबाइल इत्यादि गज़ट के सामने लगातार बैठे रहेंगे ? मैं वास्तव में चिंतित हूँ, शायद दूसरे अभिभावकों की भी कमोवेश यही स्तिथि होगी।

मैं भली- भांति परिचित हूँ कि बच्चों की शिक्षा बहुत आवश्यक है, क्योंकि शिक्षा ही उन्हें भविष्य के प्रतियोगी एवं संघर्षशील परिवेश में लड़ने के योग्य बनाती है, तथापि मैं लगातार बच्चों के (मोबाइल, टैब या लैपटॉप) स्क्रीन के सामने रहने को सही नहीं मानती। और मेरी समझ से परे है कि आजकल एक्टिविटी के नाम पर तैराकी, टेनिस एवं क्रिकेट जैसी वाह्य गतिविधियों की भी क्लास ऑनलाइन हो रही हैं। उनमें बच्चा कितना और कैसे वास्तविक स्वरूप में सीखता है, यह शोध का विषय है। 

लेकिन यह अवश्य हो सकता है, कि बच्चा अधिक समय तक स्क्रीन के सामने रहने से आंखों, मस्तिष्क या तांत्रिका-तंत्र से सम्बंधित स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का शिकार ही जाये।

यह संकट का समय है... सभी फंसे हुए हैं, और सभी के रोजगार एवं व्यवसाय भी मुश्किल में हैं। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि बिना सोचे-समझे हड़बड़ाहट में फैसले लिए जायें। हम सभी को विभिन्न समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है । हमें बच्चों की शिक्षा प्रदान करने के कई दूसरे मार्ग तलाशने होंगे, और विभिन्न संदर्भों की परिभाषाओं को पुनः परिभाषित करना होगा। इसी परिप्रक्ष्य में शिक्षा की आवश्यकता एवं संसाधनों की उपलब्धता में सामन्जस्य करना होगा। 

शिक्षा की आवश्यक आवश्यकता और वर्तमान सीमाओं को समझकर दोनों के मध्य- मार्ग अपनाकर समस्याओं से लड़ना होगा।

कुछ समाधान स्वरूप कुछ विशेष प्रारूप (Pattern) अपनाए जा सकते हैं। 

1~प्रत्येक कक्षा का पाठ्यक्रम (Syllabus) कम किया जा सकता है। जिसमें महत्वपूर्ण आधारस्वरूप विषयों को सम्मिलित किया जा सकता है, ताकि बच्चों का आधार मजबूत हो सके।

2~ ऑनलाइन पढ़ाना आवश्यक है, लेकिन समयावधि कम कर दी जाये। 5 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए अधिकतम 2-3 घन्टे एवं बड़े बच्चों के लिए 4 घन्टे समयावधि निश्चित की जाए।

3~पढ़ाने की तकनीकि को सुधारना होगा, जिसमें अध्यापक विषय को समझा दे, और बच्चों को होमवर्क में उसे लिखकर विस्तृत करने को कहे । जिससे बच्चों के ज्ञान के साथ- साथ लिखने का अभ्यास भी होता रहे।

4~ स्कूलों द्वारा होमवर्क को भी ऑनलाइन (Google Class etc) करवाने का मैं सख़्त विरोध करती हूँ। होमवर्क को वास्तविक कॉपी पर ही लिखना उचित होगा।

5~ऑनलाइन क्लास में विषय को समझाने के साथ- साथ कुछ वर्कशीट (worksheet) दी जा सकतीं हैं, जिससे बच्चे का अभ्यास हो सके।

6~क्रिकेट, बॉलीबॉल, एवं टेनिस जैसे घर के बाहर के खेलों (Outdoor Games) को ऑनलाइन न करवाया जाये, क्योंकि इसका कोई लाभ नहीं, अपितु नुकसान कहीं अधिक हैं।

7~अभी कुछ समय के लिए शिक्षा से इतर गतिविधियों को स्थगित रखना ही उचित होगा। इसके स्थान पर बच्चों को घर मे योगा करने, नृत्य करने एवं पेंटिग इत्यादि करने को कहा जा सकता है, जो बच्चा स्वयं या अभिभावक के निर्देशानुसार करे, लेकिन इसके लिए कोई भी ऑनलाइन क्लास या वीडियो न भेज जाये।

 8~5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की किसी भी प्रकार की online क्लास नहीं होनी चाहिए, यदि बच्चे का एक वर्ष भी जाता है, तो अधिक नुकसान नहीं है। अगले वर्ष पाठ्यक्रम एवं अन्य नीतियों में बदलाव करके इसकी भरपाई हो सकती है।

9~प्रांसगिक नियम- कानून बनाकर ही शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ना उचित है, भले इस प्रक्रिया में 15-20 दिन और निकल जायें।

10~ सभी अभिभावकों के साथ- साथ कुछ शिक्षा के क्षेत्र में निपुण लोगों से भी शिक्षा प्रदान करने के तरीकों पर - विचार- विमर्श करना चाहिये।

11~बच्चों के चिकित्सक तथा मनो- चिकित्सकों की राय लेना अवश्यम्भावी है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके , कि आगामी निर्णय बच्चों के हित में हैं।

नोट~इन नियम-कानूनों को शासन-प्रशासन को सुनिश्चित करना होगा, वरना सभी स्कूल अपनी चूहा- दौड़ में बच्चों का मानसिक विकास बाधित कर देंगे।

साथ ही हम अभिभावकों को भी दिखावा संस्कृति से स्वयं को बचाना होगा, यह सोचकर हम खुश नहीं हो सकते कि हमारा बच्चा बड़े स्कूल में है, इसलिए सब कुछ ऑनलाइन सीख रहा है। हमें अपनी मानसिकता को परिपक्व एवं प्रांसगिक बनाने की आवश्यकता है।