प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए ‘उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई)’ योजना को स्वीकृति दे दी है। इस योजना में उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन देने का प्रस्ताव किया गया है, ताकि घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा दिया जा सके और मोबाइल फोन के विनिर्माण तथा एसेम्बली, परीक्षण, मार्किंग एवं पैकेजिंग (एटीएमपी) इकाइयों सहित विशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जों के क्षेत्र में व्यापक निवेश आकर्षित किया जा सके।
इस योजना के तहत उन वस्तुओं की वृद्धिशील बिक्री (आधार वर्ष की तुलना में) पर पात्र कंपनियों को आधार वर्ष, जैसा कि परिभाषित किया गया है, के बाद के पांच वर्षों की अवधि के दौरान 4 से 6 प्रतिशत प्रोत्साहन दिया जाएगा जो भारत में निर्मित किए जाएंगे और लक्षित खंडों के दायरे में आते हों।प्रस्तावित योजना से मोबाइल फोन के विनिर्माण और विशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जों के क्षेत्र में कार्यरत 5-6 वैश्विक कंपनियों एवं कुछ घरेलू कंपनियों के लाभान्वित होने और भारत में बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स का विनिर्माण होने की आशा है।
वित्तीय निहितार्थ
प्रस्तावित योजना की कुल लागत लगभग 40,995 करोड़ रुपये है जिसमें लगभग 40,951 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन परिव्यय और 44 करोड़ रुपये के प्रशासनिक व्यय शामिल हैं।
लाभ
इस योजना में अगले पांच वर्षों में 2,00,000 से भी अधिक प्रत्यक्ष रोजगारों को सृजित करने की क्षमता है। हालांकि, यह उम्मीद की जा रही है कि इससे देश में बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और व्यापक रोजगार अवसरों का मार्ग प्रशस्त होगा। उद्योग जगत के अनुमानों के अनुसार, अप्रत्यक्ष रोजगारों की संख्या प्रत्यक्ष रोजगारों की तुलना में लगभग 3 गुना अधिक होगी। अत: इस योजना में कुल रोजगार क्षमता लगभग 8,00,000 है।
पृष्ठभूमि
देश में मोबाइल फोन का कुल उत्पादन मूल्य वित्त वर्ष 2014-15 के लगभग 18,900 करोड़ रुपये (3 अरब अमेरिकी डॉलर) से बढ़कर वित्त वर्ष 2018-19 में 1,70,000 करोड़ रुपये (24 अरब अमेरिकी डॉलर) के उच्च स्तर पर पहुंच गया। यही नहीं, मोबाइल फोन की घरेलू मांग की लगभग समूची पूर्ति घरेलू उत्पादन से ही हो रही है।
‘दुनिया के लिए भारत में एसेम्बल करें’ को ‘मेक इन इंडिया’ में एकीकृत कर भारत विनिर्माण में व्यापक वृद्धि कर सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जे दरअसल इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए बुनियादी निर्माण ब्लॉक हैं। भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग संघ (एल्सिना) के अनुसार, भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जों का बाजार वित्त वर्ष 2015-16 के लगभग 68,342 करोड़ रुपये (11 अरब अमेरिकी डॉलर) से बढ़कर वित्त वर्ष 2018-19 में 1,31,832 करोड़ रुपये (20.8 अरब अमेरिकी डॉलर) के उच्च स्तर पर पहुंच गया। देश में इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जों का उत्पादन लगभग 63,380 करोड़ रुपये (10 अरब अमेरिकी डॉलर) मूल्य का होता है जिनमें से लगभग 48,803 करोड़ रुपये (7.7 अरब अमेरिकी डॉलर) मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जों की खपत देश में ही होती है।