बिजली एक समवर्ती विषय है और विद्युत वितरण का संचालन राज्यों एवं राज्य वितरण उपक्रमों द्वारा किया जाता है। वित्त वर्ष 2020-21 के बजट भाषण में सरकार ने संसद को यह सूचित किया है कि वह वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) की लाभप्रदता को बेहतर करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी। सरकार ने संसद को यह भी जानकारी दी है कि विद्युत मंत्रालय ने स्मार्ट मीटरिंग को बढ़ावा देने की मंशा व्यक्त की है। सरकार ने वितरण कंपनियों में प्रभावकारी सुधारों को लागू करने के लिए राज्यों को प्रोत्साहन देने एवं उन्हें सक्षम बनाने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही सरकार ने केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं को संस्थागत सुधारों से जोड़ने का भी निर्णय लिया है। हालांकि, इस संबंध में किसी भी नई योजना को अब तक मंजूरी नहीं दी गई है।
वैसे तो हरियाणा के वितरण उपक्रम ‘उदय’ के तहत कायापलट करने में सफल रहे हैं, लेकिन कुछ उपक्रम ‘उदय’ में उल्लिखित सुधार मार्गों पर चलने में समर्थ नहीं हो पाए हैं। इसके कई कारण हैं जिनमें लागत के अनुरूप बिजली दरें नहीं होना, सब्सिडी का अपर्याप्त बजट प्रावधान, अत्यधिक एटीएंडसी (समग्र तकनीकी एवं वाणिज्यिक) हानि होना इत्यादि शामिल हैं। राज्यों को सलाह दी गई है कि वे अपने-अपने सरकारी विभागों की बकाया रकम का भुगतान करने के साथ-साथ हर महीने इस तरह की राशि का भुगतान करें, ऊर्जा संबंधी लेखांकन की सख्त प्रणाली बनाएं, हर महीने समय पर सब्सिडी का भुगतान करें, एटीएंडसी हानि कम करने के लिए एक अभियान शुरू करें और तीन वर्षों की अवधि में सभी उपभोक्ता मीटरों को स्मार्ट प्रीपेड मीटरों/प्रीपेड मीटरों में तब्दील करें।