सार्वजनिक ऋण प्रबंधन पर त्रैमासिक रिपोर्ट

वर्ष 2010-11 की अप्रैल-जून अवधि (प्रथम तिमाही) से ही वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के बजट प्रभाग का सार्वजनिक ऋण प्रबंधन प्रकोष्‍ठ (पीडीएमसी) (पूर्ववर्ती नाम मध्‍य कार्यालय) नियमित रूप से ऋण प्रबंधन पर तिमाही रिपोर्ट जारी करता रहा है। वर्तमान रिपोर्ट का वास्‍ता अक्‍टूबर-दिसम्‍बर 2019 की तिमाही (वित्त वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही) से है।वित्त वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही के दौरान केन्‍द्र सरकार ने 1,92,000 करोड़ रुपये मूल्‍य की दिनांकित प्रतिभूतियां जारी कीं, जबकि वित्‍त वर्ष 2019 की तीसरी तिमाही के दौरान 1,27,000 करोड़ रुपये की दिनांकित प्रतिभूतियां जारी की गई थीं। वित्त वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही के दौरान नए निर्गमों की भारित औसत परिपक्‍वता (डब्‍ल्‍यूएएम) 16.07 वर्ष रही (वित्‍त वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही में यह 15.89 वर्ष थी)। समान तिमाही के लिए दिनांकित प्रतिभूतियों के प्राथमिक निर्गमों की भारित औसत यील्‍ड (डब्‍ल्‍यूएवाई) 6.86 प्रतिशत आंकी गई, जबकि वित्‍त वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही में यह 6.93 प्रतिशत थी। अक्‍टूबर-दिसम्‍बर 2019 के दौरान केन्‍द्र सरकार ने नकद प्रबंधन बिलों के निर्गम के जरिये 50,000 करोड़ रुपये की राशि जुटाई। एमएसएफ सहित तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत आरबीआई द्वारा खपाई गई शुद्ध औसत तरलता (लिक्विडिटी) इस तिमाही के दौरान 2,32,263.39 करोड़ रुपये दर्ज की गई।सरकार की कुल देनदारियां (‘सार्वजनिक खाते’ के तहत देनदारियां सहित) सितम्‍बर, 2019 के आखिर के 91,01,484 करोड़ रुपये से बढ़कर दिसम्‍बर, 2019 के आखिर में 93,89,267 करोड़ रुपये के स्‍तर पर पहुंच गईं। सार्वजनिक ऋण दिसम्‍बर, 2019 के आखिर में कुल बकाया देनदारियों का 90.4 प्रतिशत रहा। बकाया दिनांकित प्रतिभूतियों के लगभग 31.7 प्रतिशत की शेष परिपक्‍वता अवधि 5 साल से कम थी। शेयरधारिता पैटर्न से यह पता चलता है कि दिसम्‍बर, 2019 के आखिर में इनमें वाणिज्यिक बैंकों की हिस्‍सेदारी 39.1 प्रतिशत और जारी करने वाली कंपनियों की हिस्‍सेदारी 24.9 प्रतिशत थी।सरकारी प्रतिभूतियों या‍नी जी-सेक पर यील्‍ड दिसम्‍बर 2019 के पहले पखवाड़े में मजबूत होने से पहले अक्‍टूबर-नवम्‍बर 2019 में कम हो गई थी। यह कई घटनाक्रमों के असर को प्रतिबिंबित करता है। भारतीय रिजर्व बैंक की एमपीसी द्वारा रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कमी करना, अक्‍टूबर 2019 में आद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी) में कमी होना और दिसम्‍बर 2019 में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा खुले बाजार संबंधी परिचालनों के तहत सरकारी प्रतिभूतियों की एक साथ खरीद एवं बिक्री करना इन घटनाक्रमों में शामिल हैं। द्वितीयक बाजार में कुल कारोबार में केन्‍द्र सरकार की दिनांकित प्रतिभूतियों की हिस्‍सेदारी पहले की ही तरह उच्‍च स्‍तर पर बनी रही। वित्‍त वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही के दौरान मूल्‍य की दृष्टि से कुल एकमुश्त कारोबार में इनकी हिस्‍सेदारी 82.0 प्रतिशत आंकी गई।