भविष्य के युद्ध पर गंभीर विचार-विमर्श और विश्लेषण के साथ दो दिवसीय प्रज्ञान सम्मेलन 2020 आज नई दिल्ली में संपन्न हुआ।
संगोष्ठी में आज विशेष संबोधन उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एस के सैनी द्वारा किया गया। लेफ्टिनेंट जनरल एस के सैनी ने दोहराया कि युद्ध की प्रकृति बनी रहती है लेकिन उसकी विशेषता बदलती रहती है। भारतीय सेना को कार्रवाई के सभी पक्षों की तैयारी करनी चाहिए।
उन्होंने नई प्रौद्योगिकी अपनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि इस पर अत्यधिक निर्भरता नहीं होनी चाहिए।उप सेना अध्यक्ष के विशेष संबोधन के बाद दो पैनल चर्चाएं हुईं। पहले सत्र में “’ट्रांसफॉरमेशन इन द बैटलस्पेसेज” विषय पर चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने 21वीं सदी के युद्ध स्थल में परिवर्तन पर, विशेष कर अग्नेय शक्ति और अन्य युद्ध साजोसामान के संदर्भ में, फोकस किया।दूसरे सत्र में “हाइब्रिड/सबकंवेंशनल वारफेययर” विषय पर चर्चा हुई। इसमें धुंधले क्षेत्र में कार्रवाई, शहरी युद्ध, बिना सरकारी समर्थन के लड़ाकुओं और प्रौद्योगिकी तथा सोशल मीडिया जैसी समकालीन चुनौतियों पर चर्चा की गई।
दो दिन (4-5 मार्च) की इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में चार सत्रों में चार अलग अलग विषयों पर सार्थक चर्चा हुई। संगोष्ठी क्षेत्र के अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय विशेषज्ञों को एक मंच पर लाने में सफल हुई। इसमें सेना के तीनो अंगों, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों, देश के अग्रणी थिंग टैंक और अकादमिक संस्थानों ने सक्रिय भागीदारी की। संगोष्ठी ने भविष्य के युद्ध की जटिल गति के विश्लेषण में योगदान दिया। प्रज्ञान 2020 संपन्न होने के साथ भारतीय सेना से संबद्ध स्वायत्त थिंक टैंक सीएलएडब्ल्यूएस ने बदलते सुरक्षा परिदृश्य और जमीनी युद्ध की विकसित प्रकृति में भारत की रणनीतिक और सैन्य सोच को आगे बढ़ाकर एक और उपलब्धि हासिल की।