सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की एक प्रमुख ई-शासन पहल के रूप में 01.04.2018 को शुरू किए गए भूमिराशि पोर्टल ने राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया तेज करने, वास्तविक समय के आधार पर प्रत्येक अवस्था में अधिसूचनाएं तैयार करने के साथ ही इसे त्रुटिमुक्त और अधिक पारदर्शी बना दिया है। हालांकि अलग-अलग मामलों में आमतौर पर पक्का रिकॉर्ड बनाने की प्रक्रिया काफी समय लेती है, जिसमें कई हफ्तों से लेकर महीने लग जाते हैं और उसमें त्रुटियां होती हैं, जिन्हें ठीक करने में काफी देरी होती है। इस पोर्टल के इस्तेमाल से अधिकांश मामलों में रिकॉर्ड बनाने में लगने वाला समय दो सप्ताह से भी कम और कुछ मामलों में कुछ ही दिन हो गया है।
इस पोर्टल का इस्तेमाल करते हुए वर्ष 2018-19 में भूमि अधिग्रहण के लिए 2920 अधिसूचनाएं जारी की गईं, जबकि पिछले दो वर्षों में हर वर्ष औसतन 1000 अधिसूचनाएं जारी की जा रही थीं। 21 महीनों में (01.04.2018 से 31.12.2019) भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा करीब 37078 हेक्टेयर भूमि अधिसूचित (राष्ट्रीय राजमार्ग कानून 1956 के यू/एस 3डी) की गई, जबकि 2014-15 से 2017-18 (4 वर्ष) के बीच 33005 हेक्टेयर भूमि अधिसूचित की गई थी। अब तक करीब 4,16,000 लोग पोर्टल पर जा चुके हैं।पोर्टल को वास्तविक समय के आधार पर प्रभावित/दिलचस्पी लेने वाले लोगों के लिए सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के साथ जोड़ा गया। इससे भूमि अधिग्रहण के लिए योग्य प्राधिकार के खाते में भारी सार्वजनिक धनराशि रखने से बचा जा सकेगा। पोर्टल का इस्तेमाल करते हुए 11 राज्यों (आंध्र प्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल) में पीएफएमएस के जरिए 2111 लाभान्वितों को 172,64,04,540 रुपये का भुगतान किया जा चुका है।भूमिराशि पोर्टल की प्रतिकृति तैयार की जा सकती है और इसका इस्तेमाल राज्य सरकारों के साथ-साथ मंत्रालयों द्वारा किया जा सकता है, जो अपने महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधानों के अंतर्गत भूमि का सीधे अधिग्रहण करते हैं।सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 01.04.2018 को भूमिराशि पोर्टल की शुरुआत की थी। पिछले वर्षों में, राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के लिए भूमि के अधिग्रहण, भूमि मालिकों को मुआवजे का भुगतान आदि फाइलों के रूप में दस्तावेजों को यहां, वहां भेजकर मैन्युअली किया जाता था। उस प्रक्रिया में अधिसूचना जारी करने, भूमि/क्षेत्र के विवरण में त्रुटी आदि जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। इन समस्याओं से निपटने और, देरी को कम करने और भूमि अधिग्रहण के लिए योग्य प्राधिकार के पास सार्वजनिक धनराशि रखे रहने से बचने जैसे मुद्दों से निपटने के लिए मंत्रालय ने वेब आधारित एक पोर्टल-भूमिराशि की शुरुआत की, ताकि भूमि अधिग्रहण की संपूर्ण प्रक्रिया का पूरी तरह डिजिटलीकरण और उसका स्वचालन किया जा सके।
इस प्रणाली में एक साधारण प्रारूप में 728 जिलों, 6763 उप-जिलों (तहसील/तालुक) और 6,62,668 गांवों का विस्तृत विवरण है। राज्य सरकारों से प्राप्त जानकारी के आधार पर इस विवरण को नियमित रूप से अपडेट किया जाता है। इस प्रणाली में साथ-साथ हिंदी अनुवाद प्रदान कर प्रक्रिया में तेजी लाई जाती है और इसे तेजी से प्रकाशन के लिए ई-राजपत्र से जोड़ा गया है। इस प्रणाली में 3a, 3A और 3D की मसौदा अधिसूचनाएं तैयार करने के लिए एक पूर्व परिभाषित प्रारूप है प्रदान किया गया है।