महाराष्ट्र में मुम्बई और पुणे के बीच चलने वाली डेक्कन क्वीन एक्सप्रेस (गाड़ी संख्या 12123/12124) भारतीय रेलवे की सबसे समृद्ध विरासत वाली एक सबसे प्रतिष्ठित ट्रेन है। 90 साल पुरानी इस ट्रेन का अब जर्मन डिजाइन लिंक हॉफमैन बुश (एलएचबी) डिब्बों के साथ उन्नयन करने का प्रस्ताव है। एलएचबी डिब्बे बेहतर सुरक्षा विशेषताओं और बेहतर यात्रा अनुभव के साथ बेहतर सस्पेंशन प्रणाली और यात्रा की बेहतरीन सुविधाओं से लैस हैं। दूसरे इस ट्रेन के बाहरी डिजाइन का कायाकल्प प्रस्तावित है जिसे इस ट्रेन के एलएचबी रेक में उपयोग किया जाएगा। वर्तमान में डेक्कन क्वीन में लाल बैंड के साथ नीले और सफेद रंग की विशिष्ट रंग वाली स्टाफ वर्दी का उपयोग होता है। इसके अलावा, इस ट्रेन के प्रस्तावित एलएचबी उन्नयन के लिए नए प्रतीक चिन्ह (लोगो) का भी प्रस्ताव किया गया है।
मध्य रेलवे इस ट्रेन का परिचालन करती है। मध्य रेलवे ने डेक्कन क्वीन के इस प्रस्तावित एलएचबी उन्नयन के लिए बाह्य डिजाइन के कायाकल्प की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस ट्रेन के साथ रेल यात्रियों के गहरे भावनात्मक जुड़ाव को देखते हुए मध्य रेलवे ने प्रस्तावित वर्दी के बाह्य डिजाइन के बारे में ग्राहकों से राय मांगी थी। विभिन्न परामर्शों और ग्राहकों की राय के आधार पर मध्य रेलवे ने ग्राहकों के मतों के अनुसार रैंकिंग के आधार पर आठ विभिन्न वर्दी डिजाइन तैयार किए हैं। मुम्बई यूनेस्को की सूची में शामिल मुम्बई- सीएसएमटी स्टेशन की छवि को शामिल करते हुए एक नए लोगो डिजाइन का भी प्रस्ताव किया गया है। रेलवे बोर्ड की सलाह पर मध्य रेलवे ने भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत स्वायत्त संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन (एनआईडी), अहमदाबाद को वर्दी के डिजाइन के बारे में पेशेवर जानकारी उपलब्ध कराने का कार्य सौंपा है। मध्य रेलवे ने एनआईडी को सभी आठ विभिन्न वर्दी डिजाइन, लोगो डिजाइन और अन्य संबंधित सामग्री उपलब्ध कराई है।इसके अनुसार ही एनआईडी की टीम ने मौजूदा ट्रेन का निरीक्षण करने के लिए मुम्बई का दौरा किया और इस ट्रेन में यात्रा के दौरान ग्राहकों के साथ बातचीत करके पहला अनुभव प्राप्त किया। टीम ने यूनेस्को प्रमाणित सीएसएमटी भवन का भी निरीक्षण किया। इस यात्रा के दौरान टीम डाटा संग्रह, माप, फोटोग्राफी, फिल्मांकन, अधिकारियों और यात्रियों के साथ बातचीत कर रही है। टीम से इस माह के अंत तक यह रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है। यह प्रक्रिया भारत सरकार के दो मंत्रालयों, रेल मंत्रालय और वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के बीच तालमेल का एक उत्तम उदाहरण है।
यह ट्रेन 1930 से ही नियमित ग्राहक सेवा वाली है। इसके नाम भारत की पहली सुपरफास्ट ट्रेन, पहली लंबी दूरी की विद्युत ट्रेन, पहली गलियारेदार गाड़ी, महिलाओं के लिए अलग डिब्बे वाली पहली ट्रेन और पहली डाइनिंग कार वाली ट्रेन होने के रिकॉर्ड दर्ज हैं।