कांग्रेस पहुंची सुप्रीम कोर्ट

 मध्य प्रदेश के सियासी घमासान के बीच भाजपा के बाद अब कांग्रेस भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे गई है मध्यप्रदेश कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की याचिका में कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने 16 विधायकों को कब्ज़े में रखा है। साथ ही याचिका में कहा है कि 16 विधायकों की अनुपस्थिति में बहुमत परीक्षण नहीं हो सकता कांग्रेस पार्टी ने फ्लोर टेस्ट के लिए राज्यपाल के निर्देश पर भी सवाल उठाया है जिसमें उन्होंने कहा है कि कमलनाथ सरकार पहले ही सदन में बहुमत खो चुकी है मध्य प्रदेश कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार और कर्नाटक सरकार को आदेश दे कि वो मध्य प्रदेश कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों को 16 विधायकों से मिलने और बात करने की इजाजत दे जो कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं इस तरह कांग्रेस के 16 विधायकों को बंधक रखना गैरकानूनी असंवैधानिक है और संविधान के अनुच्छेद 14 ए 19 और 21 और कानून के शासन के खिलाफ है कांग्रेस ने अदालत से कहा कि 15वीं मध्य प्रदेश विधान सभा के चल रहे बजट सत्र में भाग लेने के लिए विधायकों को सक्षम किया जाए और अनुमति दी जाए सुप्रीम कोर्ट आदेश जारी करे कि विश्वास मत तभी हो सकता है जब 15वीं मध्य प्रदेश विधानसभा के सभी निर्वाचित विधायक उपस्थित हों सुप्रीम कोर्ट से आदेश मांगा गया है कि राज्यपाल के निर्देश को अवैध असंवैधानिक घोषित किया जाए कांग्रेस का कहना है कि अदालत आदेश जारी करे कि यदि कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है और फलस्वरूप उनकी सीटें खाली हो गई हैं तो विश्वास मत तभी हो सकता है जब उक्त 22 निर्वाचन क्षेत्रों के मतदाताओं का प्रतिनिधित्व हो और ये कानून के अनुसार रिक्त सीटों के लिए उप.चुनाव आयोजित करके हो सकता है
इससे पहले सोमवार को मध्य प्रदेश में जारी सियासी उठापटक के बीच विधानसभा को कोरोना वायरस की वजह से 26 मार्च तक स्थगित कर दिया गया फ्लोर टेस्ट की चुनौती झेल रहे सीएम कमलनाथ के लिए यह बड़ी राहत थी क्योंकि उनके 20 से ज्यादा विधायक अपना इस्तीफा दे चुके हैं लेकिन अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर दाखिल याचिका में कहा गया है गवर्नर ने कहा था कि कि 16 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराया जाए लेकिन विधानसभा अध्यक्ष फ्लोर टेस्ट नहीं करा रहे हैं