होली त्यौहार मनाने का मुख्य उद्देश्य क्या है-चौधरी शौकत अली चेची

भारत देश में त्यौहार मनाने का मुख्य महत्व माना गया है त्यौहार मनाने की सदियों से परंपरा चली आ रही है जो द्वेष भावना को समाप्त कर अमन चैन तरक्की भाईचारे का पैगाम त्यो हारों के माध्यम से हमें मिलता है भारत देश  मैं हर जाति धर्म के हजारों त्यौहार इसी उद्देश्य से मनाए जाते हैं होली त्यौहार मनाने का मुख्य उद्देश्य क्या है बुद्धिजीवी लोगों ने अपने अलग अलग मत पेश किए होली त्योहार फागुन मास पूर्णिमा को रात्रि में समय अनुसार होलिका दहन किया जाता है नई साल चैत्र मास के पहले दिन रंग की होली त्योहार मनाया जाता है नाच गाना बजाना बड़ी धूमधाम से किया जाता है सभी मिलकर एक दूसरे के गले मिल  गुलाल लगाते हैं  पकवान आदि  मिल बैठकर खाते हैं होली त्यौहार मनाने की डबल खुशी किसानों को होती है इस मौके पर फसल पक कर तैयारी तक पहुंच जाती है लेकिन कहीं कहीं बेमौसम बरसात फसल को बर्बाद कर अन्नदाता की डबल खुशी गम में बदल जाती है बसंत रितु सर्दी छोड़कर गर्मी मौसम में प्रवेश होता है खुशी में एक दूसरे पर केमिकल डालना नशे वाली वस्तुओं का प्रयोग करना खुशी के त्योहार पर प्रश्नचिंह लगा देता है आपसी द्वेष भावना को बढ़ावा देता है इस बुराई को समाप्त करने की जरुरत है



ताकि कानून का डंडा ना चले आपसी भाईचारा समाप्त न हो  बुद्धिजीवी द्वारा त्योहार मनाने के अनेक उद्देश्य दर्शाए गए हैं होली त्यौहार मनाने का कोई निश्चित समय सामने नहीं आया सदियों से चली आ रही परंपरा प्रसिद्ध है/ मुगल काल भी होली मनाने का जिक्र किया गया है अकबर का जोधा बाई के साथ जहांगीर का नूरजहां के साथ शाहजहां शासन में ईदू ए गुलाबिया नाम से जाना गया बहादुर शाह जफर के समय श्री कृष्ण लीलाओं का वर्णन है सूफी संत हजरत निजामुद्दीन ओलिया अमीर खुसरो और बहादुर शाह जफर जैसे मुस्लिम संप्रदाय का पालन करने वाले कवियों ने भी होली पर सुंदर रचनाएं लिखी हैं अजमेर शहर में  ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर गाई जाने वाली होली प्रसिद्ध है/ भगवान श्री कृष्ण ने पूतना नाम की राक्षसी का वध किया बरसाने की होली 14 दिन तक मनाई जाती है जिसे लठ मार होली कहा जाता है/ प्राचीन काल में विवाहित महिलाएं परिवार की समृद्धि के लिए उपासना पूजा कर मनाया जाता था इसी दिन प्रथम पुरुष मनु का जन्म हुआ था  इसे मनुवादी तिथि कहते हैं /गोबर के साथ भर बोलिए बनाए जाते हैं जिन में छेद कर मूंज की रस्सी में बांधकर महिलाएं अपने भाइयों के ऊपर से उतार कर जलती हुई  होलिका में फेक देती हैं ताकि साल भर तक किसी बुरी नजर का साया न सताए जौ की बालियों को भूनकर लोग अपने घरों की तरफ दौड़ते हैं मिल बांट कर एक दूसरे को खिलाते हैं ताकि साल भर तक बरकत बरकरार रहे/ शिव ने पार्वती को पत्नी स्वीकार किया और कामदेव के भस्म हो जाने पर पत्नी रति ने विलाप कर शंकर भगवान से कामदेव को गुहार लगाकर जीवित कराया कामदेव का जीवित होने वाला दिन होली वाला दिन था आज भी रति विलाप को लोकगीत के रूप में गाया जाता है/ राजा पृथु के समय में ढूंढी नामक एक कुटिल राक्षसी थी पृथु ने ढूंढी के अत्याचारों से छुटकारा पाने के राजपुरोहित से उपाय पूछा ढूंढी  को  देवताओं से बहुत सारे  वरदान प्राप्त थे  ढूंढी अबोध बच्चों को  खा जाती थी फाल्गुन मास पूर्णिमा के दिन लकड़ी आदि इकट्ठा कर जलाकर मंत्र पढें तालियां बजाएं शोर मचाए ढूंढी नजदीक आए तो उसके ऊपर कीचड़ आदि मारे उसके पीछे दौड़े वह मर जाएगी /एक युग में राजा हिरणकश्यप का शासन था अहंकार में अपने आप को भगवान मानता था   हिरण कश्यप को वरदान था घर मरू ना बाहर दिन मरू ना रात अस्त्र से मरू ना सस्त्र से हिरण कश्यप  के घर भक्त प्रहलाद ने जन्म लिया जो भगवान विष्णु की पूजा करता था हिरण कश्यप अपने बेटे की इस बात से बहुत नाराज़ था प्रहलाद को मारने के बहुत सारे उपाय किए मगर सफलता नहीं मिली हिरण कश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती है हिरण कश्यप के कहने से होलिका  भक्त प्रहलाद को गोदी में लेकर शीतल चीर ओड कर लकड़ियों के ढेर पर बैठ गई और आग लगा दी गई शीतल चीर का दुरुपयोग किया होलिका ने वह जलकर राख हो गई भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रहलाद का बाल बांका नहीं हुआ और  भगवान विष्णु ने  हिरणकश्यप को वरदान का पालन करते हुए सिंह जैसा रूप धारण कर अपने घुटनों पर रख कर सूर्य छुपने से पहले दरवाजे के बीच में अपने लंबे नाखूनों से चीर कर मौत के घाट उतार दिया असत्य अहंकार की हार हुई सत्य मानवता की जीत हुई इन्हीं उद्देश्यों से त्यौहार को परंपरा के रुप में मनाया जाता आ रहा है/= हृदय की गहराइयों से रंगो के उपासना होली त्यौहार की सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं (चौधरी शौकत अली चेची)