प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने निर्यात किए गए उत्पादों पर शुल्कों व करों में छूट देने (आरओडीटीईपी) की योजना की शुरूआत करने की मंजूरी दे दी है। इसके तहत केन्द्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर पर करों/शुल्कों/उपकरों की प्रतिपूर्ति के लिए एक व्यवस्था तैयार की जाएगी, जिनकी प्रतिपूर्ति वर्तमान में किसी अन्य योजना के अंतर्गत नहीं की जा रही है, परन्तु जिनका भुगतान निर्यातित उत्पादों की विनिर्माण और वितरण प्रक्रिया के दौरान किया जाता है। इस योजना से घरेलू उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय उत्पादकों को समान अवसर प्राप्त होंगे, ताकि घरेलू करों/शुल्कों का निर्यात नहीं हो।
योजना के तहत एक अंतर-मंत्रालयी समिति दरों और उत्पादों का निर्धारण करेगी, जिनके लिए करों और शुल्कों में छूट दी जानी है। डिजिटल इंडिया के अनुरूप योजना के तहत प्रतिपूर्ति निर्यातकों को हस्तांतरणीय शुल्क/इलेक्ट्रॉनिक स्क्रिप जारी किए जाएगे, जिन्हें एक इलेक्ट्रॉनिक्स लैजर में दर्ज किया जाएगा। योजना का क्रियान्वयन पूरी तरह से डिजिटल रूप में किया जाएगा।शुल्क वापसी और आईजीएसटी जैसी योजनाओं के साथ आरओडीटीईपी योजना के अंतर्गत प्रतिपूर्ति ‘जीरो रेटिंग’ की ओर एक कदम है। इससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में निर्यात उत्पादों की लागत को प्रतिस्पर्धी बनाया जा सकेगा और निर्यात उन्मुख विनिर्माण उद्योग में रोजगार के अवसरों का सृजन होगा।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विज़न के अनुरूप निर्यात आधारित विभिन्न उद्योगों में सुधार किए जा रहे हैं और इन उद्योगों में बेहतर कार्य प्रणाली की शुरूआत की गई है, ताकि उत्पादकता में वृद्धि हो सके, निर्यात को प्रोत्साहन मिल सके और यह अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे सके।
प्रमुख विशेषताएः
वर्तमान में निर्यातित उत्पादों के निर्माण के लिए आवश्यक इनपुट के लिए जीएसटी करों एवं आयात/सीमा शुल्कों में या तो छूट दी जाती है या इनकी प्रतिपूर्ति की जाती है। हालांकि कुछ कर/शुल्क/उपकर जीएसटी के दायरे में नहीं आते है और इनकी प्रतिपूर्ति निर्यात के लिए नहीं की जाती है जैसे परिवहन में उपयोग किए गए ईंधन पर लगने वाला वैट, मंडी कर, निर्माण के दौरान उपयोग की बिजली पर लगने वाला शुल्क आदि। आरओडीटीईपी के तहत इन्हें प्रतिपूर्ति के दायरे में लाया जाएगा। विभिन्न क्षेत्रों में योजना को लागू करने का क्रम, क्षेत्रों को योजना के अंतर्गत लाने के लिए प्राथमिकता देना, समिति द्वारा निर्धारित दरों के अंतर्गत विभिन्न उत्पादों को दिए जाने वाले लाभ की सीमा आदि के संबंध में वाणिज्य विभाग (डीओसी) निर्णय लेगा और अधिसूचना जारी करेगा।
निर्यात के फ्रैट ऑन बोर्ड (एफओबी) मूल्य के प्रतिशत के रूप में छूट का दावा किया जा सकेगा।
सूचना प्रौद्योगिकी आधारित जोखिम प्रबंधन प्रणाली (आरएमएस) के साथ निगरानी और लेखा परीक्षण व्यवस्था निर्यातकों के रिकॉर्ड की भौतिक रूप से जांच करेगी। आरओडीटीईपी योजना के तहत टैरिफ/उत्पाद के लिए जब करों की घोषणा की जाएगी, तो भारत व्यापार निर्यात योजना (एमईआईएस) से मिलने वाले लाभों को स्थगित कर दिया जाएगा।