आईएमएसी की बैठक में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए 301.54 करोड़ रुपये की 10 परियोजनाएं मंजूर की गई

 नई दिल्ली- केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित अंतर-मंत्रालयी अनुमोदन समिति (आईएमएसी) की बैठक में कुल 67.29 करोड़ रूपये की अनुदान राशि सहित 301.54 करोड़ रूपये की लागत वाली 10 परियोजनाएं मंजूर की गई। इन परियोजनाओं को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की  ‘किसान संपदा योजना’ की  ‘कृषि प्रसंस्करण क्लस्टर योजना’ के तहत मंजूरी दी गई। इन परियोजनाओं से दस हजार लोगों को रोजगार मिलने और लगभग चालीस हजार किसानों को लाभ होने की संभावना है।


 केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री ने कहा कि पिछले 15 दिनों में उनके मंत्रालय  ने 707 करोड़ रुपये के निवेश की सुविधा प्रदान की है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के माध्यम से सरकार व्यापार में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए सभी प्रयास कर रही है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में स्वचालित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति है और भारत में खाद्य उत्पादों के निर्माण और/या उत्पादन के संबंध में ई-कॉमर्स सहित व्यापार के लिए अनुमोदन मार्ग के माध्यम से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है। एफपीओ द्वारा कृषि क्षेत्र में 100 करोड़ रुपये तक वार्षिक कारोबार के लिए फसल कटाई पश्‍चात मूल्‍य संवर्धन जैसी गतिविधियों से अर्जित मुनाफे में आयकर में शत-प्रतिशत छूट दी जा रही है।


 अंतर-मंत्रालयी अनुमोदन समिति ने 04 मार्च, 2020 को आयोजित बैठक में क्लस्टर योजना के तहत तमिलनाडु के आठ जिलों में फैली 230 करोड़ रुपये की लागत वाली  8 परियोजनाओं को मंजूरी दी। इन परियोजनाओं में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों के साथ-साथ लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के सृजन की परिकल्पना की गई है।  इन परियोजनाओं से लगभग 8,000 लोगों के लिए रोजगार पैदा होने और उस क्षेत्र के 32,000 किसानों को लाभ होने की संभावना है।      इस योजना का उद्देश्य आधुनिक अवसंरचना के साथ अच्छी तरह से सुसज्जित आपूर्ति श्रृंखला के माध्यम से उत्पादकों/किसानों के समूहों को प्रोसेसर और बाजारों से जोड़कर क्लस्टर प्रसंस्करण पर आधारित खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए उद्यमियों के समूह को प्रोत्साहित करने के लिए आधुनिक बुनियादी ढांचे और सामान्य सुविधाओं के विकास का लक्ष्य है। इकाइयां एक साथ स्थापित की जाती हैं, साथ ही बुनियादी ढांचे का निर्माण भी किया जाता है।