780 किलोमीटर लंबे विभिन्‍न राष्‍ट्रीय राजमार्गों के पुनर्वास और उन्‍नयन की मंजूरी

प्रधानमंत्री  नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने 2 लेन/2 लेन पक्‍के ढ़लानों के साथ/4-लेन विन्‍यास (2-लेन/एकल//मध्‍यवर्ती लेन) के पुनर्वास और उन्‍नयन तथा हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और आंध्र देश राज्यों में 780 किलोमीटर लंबे विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गों कें खंडों को मजबूत बनाने की मंजूरी दी। इस परियोजना में 7662.47 करोड़ रूपये का निवेश शामिल हैं जिसमें 3500 करोड़ रूपये (500 मिलियन अमरीकी डॉलर) का ऋण घटक शामिल है। विश्‍व बैंक की ऋण सहायता हरित राष्‍ट्रीय राजमार्ग कॉरिडोर परियोजना (जीएनएचसीपी) के तहत होगी। इस परियोजना में निर्माण की समाप्ति के बाद इन राष्‍ट्रीय राजमार्ग खंडों का 5 वर्ष तक          (डामर पटरियों के मामले में)/10 साल तक (कंकरीट पटरियों के मामले में) रखरखाव भी शामिल है।


 इस परियोजना में निम्‍निलिखित 4 घटक शामिल हैं:-


·         राष्‍ट्रीय राजमार्गों का सतत विकास और रखरखाव


·         संस्‍थागत क्षमता में बढ़ोतरी


·         सड़क सुरक्षा और


·         अनुसंधान एवं विकास


 इन राजमार्गों के निर्माण के अलावा इस परियोजना में जलवायु के लचीलेपन में कार्य की गुणवत्‍ता और हस्‍तक्षेपों के प्रभाव का आकलन करने के लिए सामग्रियों के परीक्षण हेतु इंडियन एकेडमी ऑफ हाइवे इंजीनियर्स (आईएएचई) में हाइवे/‍ब्रिज इंजीनियरिंग प्रयोगशाला को मजबूत बनाना; डिजाइन, कार्यान्‍वयन, परिचालन और रखरखाव चरणों में सुरक्षा ऑडिटों के माध्‍यम से सड़क सुरक्षा में वृद्धि करना; केंद्रीय सड़क परिवहन संस्‍थान, पुणे का दुघर्टना जांच पड़ताल के लिए क्षमता निर्माण करना; और निम्‍नलिखित प्रासंगिक विषयों पर अनुसंधान एवं विकास अध्‍ययन शामिल हैं : -


 


·         मिट्टी और पटरी सतहों का स्थिरीकरण;


·         तटबंधों में फ्लाई ऐश, मकानों के मलबे आदि का उपयोग;


·         बिटुमिन के कार्यों में प्‍लास्टिक अपशिष्‍ट संशोधकों आदि का उपयोग;


·         जैव इंजीनियरिंग समाधानों का उपयोग करके ढलाव संरक्षण।


लाभ:


  इन परियोजनाओं का क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक जरूरतों पर विचार करने के बाद अच्‍छी और वाहन योग्‍य सड़कें उपलब्‍ध कराने की जरूरत के आधार पर चयन किया गया है। क्षेत्र की प्रकृति और स्‍थानीय उपज की मात्रा, उपज की ढुलाई के लिए उपलब्‍ध लॉजिस्टिक बुनियादी ढांचा तथा मुख्‍य धारा क्षेत्र के साथ स्‍थानीय लोगों के जुड़ाव की आवश्‍यकता आदि पर विचार किया गया है। इन खंडों का कार्य पूरा होने के बाद वाहनों की आवाजाही में लगने वाले समय में कमी आएगी। जनता के महत्‍वपूर्ण कार्य घंटों में भी बचत होगी। जनता की दक्षता में महत्‍वपूर्ण बढ़ोतरी होगी। वाहन यातायात की सुगम आवाजाही के कारण तेजी से चलने वाले वाहनों में तोड़फोड़ भी कम होगी। इसके अलावा ईंधन की खपत में भी बचत होगी। ये चयन किए गए खंड औद्योगिक क्षेत्रों, समृद्ध कृषि क्षेत्रों, पर्यटक स्‍थलों, धार्मिक स्‍थानों और प्रगति एवं आय के रूप में पिछड़े क्षेत्रों से गुजरते हैं। इस परियोजना के पूरा होने के बाद कनेक्टिविटी में सुधार होगा, जिससे राज्‍यों को अधिक राजस्‍व जुटाने में मदद मिलने के साथ-साथ स्‍थानीय जनता की आय भी बढ़ेगी।


परियोजना खंडों के निर्माण की अवधि 2/3 वर्ष होगी और रखरखाव अवधि डामर पटरी सड़कों के लिए 5 वर्ष तथा कंकरीट की पक्‍की पटरी सड़कों (राजस्‍थान राज्‍य में केवल एक खंड) के लिए 10 साल होगी।