14 लाख से ज्यादा एसएचजी को जोड़ते हुए वर्ष 2022 तक उनकी कुल संख्या 75 लाख तक पहुंचाई जाएगीः तोमर

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री  नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि महिलाओं की भागीदारी के बिना भारत राष्ट्रों की समिति (यानी कमिटी ऑफ नेशंस) में विकसित राष्ट्र के रूप में नहीं उभर सकेगा। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर कल यहां डीडी किसान पर महिलाओं के सशक्तिकरण से संबंधित एक लाइव टीवी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नये भारत का मिशन केवल महिलाओं की सक्रिय भागीदारी से ही साकार हो सकता है, जो हमारी जनसंख्या, अर्थव्यवस्था का आधा भाग हैं। उन्होंने कहा कि महिलाएं अब न केवल अकादमिक बोर्ड और प्रतियोगी परीक्षाओं में अव्वल स्थान पा रही हैं, बल्कि उद्योग जगत से लेकर वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान, अंतरिक्ष अनुसंधान और परमाणु कार्यक्रमों, पुलिस तथा सशस्त्र बलों और नौकरशाही तक विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण पद भी संभाल रही हैं।तोमर ने कहा कि महिला स्व-सहायता समूह (एसएचजी) गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम की रीढ़ हैं और कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभागों का पूरा ध्यान महिलाओं की मुक्ति की दिशा में ही अभिविन्यस्त है। उन्होंने कहा, “समुदाय व्यक्तियों से ज्यादा प्रभावशाली हो सकते हैं, ऐसे में समूचे ग्रामीण परिदृश्य में विकास की प्रक्रिया में परिवर्तनकारियों के रूप में एसएचजी की भूमिका महत्वपूर्ण है। ”


तोमर ने कहा कि देशभर में 60.8 लाख एसएचजी छह करोड़ 73 लाख से ज्यादा महिलाओं को संघटित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “और ज्यादा महिलाओं को आजीविका पाने में समर्थ बनाने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय की वर्ष 2022 तक कुल 75 लाख एसएचजी का सृजन करने की योजना है।” तोमर ने कहा कि सरकार सरल ऋण प्रवाह के लिए बैंकों को जोड़ने के द्वारा निधि उपलब्ध करा रही है और स्वयं सहायता समूह को आजीविका मिशन हेतु प्रशिक्षण दे रही है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने बेहतर प्रदर्शन के लिए स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहित करने हेतु पुरस्कारों का गठन किया है। महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए पिछले 6 वर्षो के दौरान स्वयं सहायता समूहों को 2.75 लाख करोड़ से अधिक ऋण प्रदान किया गया है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत वार्षिक रूप से 5 करोड़ से अधिक लोगों को नियुक्त किया जाता है और मनरेगा के तहत कार्य बल में महिलाओं की 55 प्रतिशत की भागीदारी है। उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) के तहत भी 4.66 लाख महिलाएं जुड़ी हुई हैं और इस योजना के तहत और अधिक महिलाओं की भागीदारी हो रही है।तोमर ने कहा कि स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (एसजीएसवाई) का पुनर्गठन किया गया और दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना (डीएवाई)- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) में शामिल कर दिया गया। इस मिशन के तहत सरकार का लक्ष्य लगभग 10 करोड़ ग्रामीण परिवारों तक पहुंचना है। स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) ने महिलाओं को गौरव प्रदान किया है और देशभर में 9.5 करोड़ शौचालयों के निर्माण के साथ उनकी सुरक्षा बढ़ाई है।


तोमर ने कहा कि सरकार न केवल महिलाओं और ग्रामीण आबादी की सहायता कर रही है बल्कि उनके उत्पादों के लिए बेहतर मूल्य दिलाने के लिए गवर्नमेंट ई-मार्केट (जीईएम) प्लेस जैसे मंच भी उन्हें उपलब्ध करा रही है। उन्होंने कहा ‘सरकार ने अपने कार्यालयों के लिए अनिवार्य बना दिया है कि पहले वह जीईएम से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करें और अगर वहां उपलब्ध न हो तो ही अन्य स्रोतों से खरीद करें।’