राज्यों के सचिवालयों में ई-ऑफिस बनाने के लिए देशव्यापी तेजी लाना

पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री, कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन, परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह 12.02.2020 को नई दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित प्रवासी भारतीय केन्द्र में ई-ऑफिस पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में प्रमुख भाषण देंगे। डॉ. सिंह इस समारोह में सीपीजीआरएएमएस सुधारों को भी लांच करेंगे। कार्यशाला में केन्द्रीय मंत्रालयों, विभागों के अधीनस्थ / सम्बद्ध कार्यालयों में ई-ऑफिस के क्रियान्वयन विस्तार पर विचार-विमर्श किया जाएगा। कार्यशाला में भाग लेने के लिए राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों को भी बुलाया गया है।


अनेक राज्यों ने फाइलों के डिजिटलीकरण और डिजिटल राज्य सचिवालय बनाने का काम किया है। राजस्थान में राजकाज, ओडिशा में ओएसडब्ल्यूएस, आंध्र प्रदेश में ई-ऑफिस की सफलता की कहानियां मिलती हैं। अनेक जिलों ने ई-ऑफिस को अपनाया है। यद्यपि कुछ राज्यों में प्रगति दिखी है लेकिन अनेक राज्य ऐसे हैं जहां डिजिटल सचिवालय बनाने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्देश्य राज्य सचिवालयों में ई-ऑफिस बनाने की गति बढ़ानी है। प्रशासनिक सुधार तथा लोक शिकायत विभाग ने शासन संचालन को आगे ले जाने के लिए नवाचारी दृष्टिकोण अपनाया है। इस संबंध में तीन प्रमुख पहल हैं - (1) नेशनल ई-सर्विसेस डिलीवरी, मूल्यांकन 2020 का प्रकाशन (2) सुशासन सूचकांक, 2019 का प्रकाशन (3) राज्यों में शासन संचालन में श्रेष्ठ व्यवहारों को अपनाना।


उत्तरदायी शासन प्रणाली विकसित करने के लिए सरकार का सक्षम, कारगर और पारदर्शी कामकाज आवश्यक है। इसलिए केन्द्र सरकार गवर्नेंस सुधारों की श्रृंखला में ई-गवर्नेंस लागू कर रही है। इसका उद्देश्य व्यक्ति/मंत्रालयों/विभागों के आंतरिक कामकाज में सुधार लाना और अंतिम रूप से लोगों को सेवा डिलीवरी में सुधार लाना है। यह भारत सरकार का डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का हिस्सा भी है। ई-ऑफिस समाधान सरकार के सभी स्तरों पर कागज रहित वातावरण में मुख्य संचालनों को सक्षम बनाता है। इस तरह मुक्त और उत्तरदायी सरकार के उद्देश्य को प्राप्त करने की दिशा में यह एक प्रमुख कदम है। सरकार निकट भविष्य में अपने विभागों को लगभग कागज रहित बनाना चाहती है। ई-ऑफिस परियोजना लागू करने के लिए प्रशासनिक सुधार तथा लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) नोडल विभाग है। नेशनल इनफोर्मेटिक सिस्टम (एनआईसी) परियोजना में तकनीकी साझेदार है। डीएआरपीजी सभी केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों में ई-ऑफिस लागू करने के लिए संकल्पबद्ध है।ई-ऑफिस मिशन मोड परियोजना 2011-12 में चरणबद्ध तरीके से लांच की गई थी और अभी चरण-3 को लागू किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत अभी तक पूर्ण 79 मंत्रालयों/विभागों को कवर किया गया है। इनमें से कुल 57 को 80 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त हो गया है। अभी सभी मंत्रालयों/विभागों में 1485584 सक्रिय ई-फाइलें हैं।


पिछले पांच वर्षों से अधिक समय से मोदी सरकार का डिजिटल कार्यक्रमों के माध्यम से शासन संचालन में सुधार, अवसंरचना निर्माण तथा उत्तरदायी संस्थान बनाने का प्रयास रहा है। डीपीआरपीजी ने ई-गवर्नेंस में अनेक प्रशासनिक सुधार किए हैं। इन सुधारों में अगस्त, 2019 में ई-गवर्नेंस पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में ऐतिहासिक शिलोंग घोषणा तथा जनवरी, 2020 में ई-गवर्नेंस पर 23वें राष्ट्रीय सम्मेलन में मुंबई प्रस्ताव शामिल हैं। इन दोनों घोषणाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है केन्द्रीय तथा राज्य सचिवालयों में व्यापक रूप से ई-ऑफिस को अपनाना। हाल में गवर्नेंस पर मंत्रियों के क्षेत्रवार समूह द्वारा दिए गए प्रजेटेंशन में मंत्रिपरिषद ने इसको अपनी सहमति दी।ई-ऑफिस परियोजना के अंतर्गत 15 लाख फाइलों का डिजिटलीकरण हुआ है और प्रत्येक सप्ताह 15 हजार डिजिटल फाइलें तैयार की जा रही हैं। 13 और मंत्रालय 80 प्रतिशत लक्ष्य पर पहुंच गए हैं और इस तरह आने वाले महीनों में ई-ऑफिस अपनाने वाले मंत्रालयों/विभागों की संख्या 67 हो जाएगी।


ई-ऑफिस पर राष्ट्रीय कार्यशाला का एक प्रमुख उद्देश्य भारत सरकार के सम्बद्ध / अधीनस्थ / स्वतः कार्यालयों में ई-ऑफिस का विस्तार है। भारत सरकार के सम्बद्ध कार्यालय मंत्रालयों के विस्तार के रूप में काम करते हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, राष्ट्रीय अभिलेखागार, डीजीएफटी कार्यालय, हथकरघा, हस्तकला विकास आयुक्त कार्यालय में बड़ी संख्या में फाइलें हैं जो ई-ऑफिस विस्तार के लिए काम में लाई जा सकती है। पूरे देश में भारत सरकार के अनेक अधीनस्थ कार्यालय हैं जिनमें ई-ऑफिस का विस्तार किया जा सकता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, भारतीय लोक प्रशासक संस्थान जैसे स्वशासी निकाय प्राथमिकता के आधार पर ई-ऑफिस कार्यक्रम अपना सकते हैं।