वृति गुजराल को कथक में डॉ. किरण बेदी से मिला ग्लोबल चाइल्ड प्रोडिजी अवार्ड

दिल्ली: ग्लोबल चाइल्ड प्रोडिजी अवार्ड, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इंटरनेशनल फाउंडेशन द्वारा समर्थित एक अनूठी पहल है, जो नृत्य, संगीत, कला, लेखन, अभिनय, मॉडलिंग, विज्ञान, नवाचार, खेल आदि विविध क्षेत्रों की असाधारण बाल प्रतिभाओं के लिए मंच प्रदान करती है। कुल मिलाकर 45 देशों की 100 बाल प्रतिभाओं को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना गया।



पुरस्कार समारोह 3 जनवरी, शुक्रवार को नई दिल्ली में आयोजित किया गया, जहां इन बाल प्रतिभाओं को कैलाश सत्यार्थी - नोबेल शांति पुरस्कार विजेता तथा डॉ. किरण बेदी - पुडुचेरी की उपराज्यपाल द्वारा सम्मानित किया गया।


वृति गुजराल ने भारतीय शास्त्रीय नृत्य "कथक" के लिए यह अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर देश को गौरवान्वित किया है। उन्होंने अपने ऊर्जावान तरीके से शानदार शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। "वह इतनी मनोरम है कि आप उससे नज़रें नहीं हटा सकते," घाना के एक प्रतिभाशाली बालक डीजे स्विच ने कहा।कथक प्रतिपादक बरुण बैनर्जी की शिष्य, वृति को भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय से कथक में राष्ट्रीय छात्रवृत्ति भी मिल रही है। उन्होंने न केवल भारत में प्रतियोगिताएं जीती हैं, बल्कि पं. बिरजू महाराज , विदुषी सास्वती सेन , श्रीमती शोभा कोसर जी जैसे कथक महारथियों का दिल भी जीता है। इस कच्ची उम्र में, वृति ने दिल्ली व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में कई मंचों पर शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत किया है।आज के आधुनिक युग में जहां एक ओर हमारी भारतीय संस्कृति पश्चिमी नृत्य और संगीत से प्रभावित हो रही है, वहीं नई पीढ़ी की ऐसी विलक्षण प्रतिभाएं न केवल भारतीय शास्त्रीय कला रूपों को चुन कर जीवित रख रही हैं, बल्कि भारतीय विरासत को आगे ले जा रही हैं और इसे विश्व भर में फैला रही हैं ।


वृति वर्तमान में श्री वेंकटेश्वर इंटरनेशनल स्कूल, द्वारका में कक्षा 8 वीं में पढ़ रही हैं। वह अपनी पढ़ाई और अपने जुनून कथक के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करती हैं। उनकी मां सारिका गुजराल कहती हैं, हर दिन रियाज़ जरूरी है। उनके गुरु बरुन बनर्जी, जो लखनऊ घराने के एक प्रसिद्ध कथक कलाकार हैं और 6 साल की उम्र से ही वृति को प्रशिक्षण दे रहे हैं, कहते हैं कि वृति बहुत मेहनती है और अपने नृत्य के प्रति समर्पित है। उसकी कला की जीवंतता उसकी आत्मा से होकर गुजरती है। जिस तरह से उसने इस कला की बारीकियों को उठाया है वह सराहनीय है।वृति ने कथक के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने का इरादा किया है और पूरी दुनिया में भारतीय कला और वह संस्कृति की सुंदरता को फैलाना चाहती है। वृति समाज को वापस देने में भी विश्वास करती है, इसलिए कमजोर आर्थिक स्थिति वाले बच्चों की हालत बेहतर करने के लिए उनके बीच "कथक" कला का विस्तार करना चाहती है।