प्रधानमंत्री ने 71वीं गणतंत्र दिवस परेड में सम्मिलित होने वाले कलाकारों के साथ बातचीत की

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज एट-होम कार्यक्रम में राजधानी में 71वीं गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लेने वाले 1730 से अधिक जनजातीय समुदायों के अतिथियों, एनसीसी कैडेटों, एनएसएस स्वयंसेवकों और झांकी कलाकारों के साथ बातचीत की 


बड़ी संख्या में उत्साहित उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ये सभी गणतंत्र दिवस परेड के अवसर पर लघु भारत की छवि प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने कहा कि परेड में उनके प्रदर्शन के दौरान पूरी दुनिया भारत की आत्मा को देखेगी। उन्होंने कहा कि भारत केवल एक भौगोलिक या जन-सांख्यिकीय क्षेत्र नहीं है।


प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत एक जीवन-शैली, एक विचार, कई दर्शनों के मेल का देश है। यह वैश्विक तथा सार्वभौमिक परिप्रेक्ष्य का समृद्ध उदाहरण है। उन्होंन कहा, ‘भारत का अर्थ एक वैश्विक परिवार है, भारत का अर्थ सभी धर्मों में समानता है, भारत का अर्थ सत्य की विजय है, भारत का अर्थ एक ऐसी सोच है जो एक सत्य को विभिन्न तरीके से समझने का अवसर देती है। भारत का अर्थ वनस्पति और जीव-जन्तुओं से प्रेम और उनका संरक्षण करना है, भारत का अर्थ आत्मनिर्भरता है, भारत मानता है कि जो बलिदान करते हैं, वे आनंद से रहते हैं, भारत का अर्थ है जो सबके कल्याण में विश्वास करे, भारत का अर्थ है महिलाओं की उपासना, भारत वह देश है जो मानता है कि मातृभूमि स्वर्ण से भी अधिक मूल्यवान है।’ एकता और समानता को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की शक्ति भौगोलिक और सामाजिक ताने-बाने में निहित है। उन्होंने फूलों के हार से भारत की तुलना करते हुए कहा कि जिस तरह एक ही धागे में कई फूल गुंथे होते हैं, उसी तरह भारतीयता की भावना है। उन्होंने कहा, ‘भारत एकता में विश्वास करता है, न कि एकरूपता में’। उन्होंने कहा कि एकता के सूत्र को मजबूत करने और उसे बनाए रखने के लिए हम लगातार प्रयास और मेहनत करते हैं। उन्होंने कहा कि नया भारत जैसे-जैसे तरक्की करेगा तो हमारा प्रयास रहेगा कि हम देखें कि कोई भी व्यक्ति और कोई भी क्षेत्र पीछे न रह जाए। बुनियादी कर्तव्यों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि समय आ गया है कि हम बुनियादी कर्तव्यों को महत्व दें। उन्होंने कहा, ‘अगर हम ईमानदारी से अपना कर्तव्य करेंगे तो अपने अधिकारों के लिए लड़ने की जरूरत हमें कभी महसूस नहीं होगी।’


यहां जितने भी युवा साथी आए हैं, मेरा आपसे आग्रह रहेगा कि राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों की ज्यादा से ज्यादा चर्चा करें। चर्चा ही नहीं, बल्कि खुद अमल करके, उदाहरण पेश करें। हमारे ऐसे ही प्रयास न्यू इंडिया का निर्माण करेंगे: