भारत-जर्मनी कार्यदल ने सुरक्षित एवं संरक्षित उत्‍पादों पर सहयोग के जरिए व्‍यापार बढ़ाया

 नई दिल्‍ली :  गुणवत्‍तापूर्ण बुनियादी ढांचे पर गठित भारत-जर्मनी कार्यदल की सातवीं वार्षिक बैठक 16-17 जनवरी, 2020 को नई दिल्‍ली में आयोजित की गई जिसमें लगभग 80 प्रतिभागियों ने शिरकत की। जर्मनी और भारत ने इस कार्यदल का गठन वर्ष 2013 में किया था, ताकि आर्थिक एवं तकनीकी सहयोग बढ़ाने एवं व्‍यापार के मार्ग में मौजूद तकनीकी बाधाओं को कम करने के साथ-साथ उत्‍पादों की सुरक्षा भी बढ़ाई जा सके। आर्थिक मामलों एवं ऊर्जा के लिए जर्मन संघीय मंत्रालय (बीएमडब्‍ल्‍यूआई) और भारत का उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य व सावर्जनिक वितरण मंत्रालय दरअसल अन्‍य मंत्रालयों के सहयोग से मानकीकरण, प्रमाणन एवं अनुरूपता के आकलन, माप-पद्धति, उत्‍पादों की सुरक्षा और बाजार निगरानी के लिए आपस में मिलकर काम कर रहे हैं।



आर्थिक मामलों एवं ऊर्जा के लिए जर्मन संघीय मंत्रालय के महानिदेशक स्‍टीफन श्‍नॉर ने कहा, ‘‘गुणवत्‍तापूर्ण बुनियादी ढांचा अंतरराष्‍ट्रीय व्‍यापार की शब्‍दावली है। तकनीकी नियमनों जैसे कि अनिवार्य मानकों की प्रासंगिकता बढ़ने के साथ ही नियाम‍कीय दृष्टिकोण एवं अनुपालन प्रक्रियाओं पर हमारे आदान-प्रदान से कारोबार में सुगमता बढ़ती है और इसके साथ ही व्‍यापार में भी इजाफा होता है। मैं ‘कार्य योजना 2020’ पर हस्‍ताक्षर किए जाने का स्‍वागत करता हूं। हमने मानकों, तकनीकी नियमन एवं प्रमाणीकरण के साथ-साथ मशीनरी की सुरक्षा, ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रिक वाहनों के परिचालन और साइबर सुरक्षा जैसे महत्‍वपूर्ण आर्थिक क्षेत्रों में बाजार निगरानी के कार्य में आपसी सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है। सुरक्षित एवं संरक्षित उत्‍पादों के लिए विभिन्‍न आवश्‍यकताओं की आपसी समझ से दोनों ही देशों के नागरिकों के हितों की रक्षा करने में मदद मिलती है। ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्‍स (आईओटी) उपकरणों’ की साइबर सुरक्षा पर हमारे द्वारा हाल ही में प्रस्‍तुत किया गया भारत-जर्मन परिचर्चा पत्र हमारे सफल सहयोग का एक अच्छा उदाहरण है।”


उपभोक्‍ता कार्य विभाग में सचिव श्री अविनाश के.श्रीवास्‍तव ने कहा, ‘भारत के लिए जर्मनी एक विश्‍वसनीय एवं महत्‍वपूर्ण साझेदार है। हमारे द्विपक्षीय कार्य दल में बढ़ता तकनीकी सहयोग अत्‍यंत उत्‍साहवर्धक है। मुझे इस बात से अत्‍यंत प्रसन्‍नता हो रही है कि हमने साइबर सुरक्षा, बाजार निगरानी, उद्योग 4.0 और कानूनी माप-पद्धति जैसे क्षेत्रों में आपसी सहयोग काफी बढ़ा दिया है। इस वर्ष हम तकनीकी नियमन, चिकित्‍सा उपकरणों से जुड़े नियमनों के आदान-प्रदान और आईएसओ एवं आईईसी के स्‍तर पर जोड़ीदार जैसी व्‍यवस्‍थाओं पर भी फोकस करेंगे।इस साल की वार्षिक बैठक में आर्थिक मामलों एवं ऊर्जा के लिए संघीय मंत्रालय के एक जर्मन प्रतिनिधिमंडल (जिसकी अध्‍यक्षता महानिदेशक स्‍टीफन श्‍नॉर ने की); जर्मन मानकीकरण संस्‍थान (डीआईएन); विद्युतीय, इलेक्‍ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी (डीकेई) के लिए जर्मन आयोग एवं जर्मन राष्‍ट्रीय माप-पद्धति संस्‍थान (पीटीबी) के प्रतिनिधियों और जर्मन कंपनियों तथा उद्योग संगठनों जैसे कि वीडीएमए एवं वीडीए के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। वहीं, भारतीय प्रतिनिधिमंडल में उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय; इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय; भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय; भारत मानक ब्‍यूरो (बीआईएस) तथा भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के प्रतिनिधिगण शामिल थे।


गुणवत्‍तापूर्ण बुनियादी ढांचे पर संवादों का आयोजन वैश्विक परियोजना गुणवत्‍तापूर्ण अवसंरचना (जीपीक्‍यूआई) की रूपरेखा (फ्रेमवर्क) के अंतर्गत होता है जिसके तहत बीएमडब्‍ल्‍यूआई रणनीतिक व्‍यापार साझेदारों के साथ राजनीतिक एवं तकनी‍की संवाद करता है। अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग के लिए जर्मन एजेंसी ‘जीआईजेड’ दरअसल बीएमडब्‍ल्‍यूआई की ओर से परियोजना के कार्यान्‍वयन में आवश्‍यक सहयोग प्रदान करती है।