उपराष्ट्रपति ने युवा इंजीनियरों से कहा कि वे रचनात्मक सोच के साथ समस्याओं का समाधान निकालें

उप-राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज युवा इंजीनियरों का आह्वान किया कि वे आम आदमी का जीवन बेहतर बनाने के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुई प्रगति का इस्तेमाल करें।


नवाचार को 21वीं शताब्दी का गुरुमंत्र बताते हुए उपराष्ट्रपति ने आईआईटी और एनआईटी जैसे संस्थानों से कहा कि वे खुद को नवाचार केन्द्रों के रूप में बदलें। उन्होंने  सुझाव दिया कि वे अपने पाठ्यक्रम और अध्यापक के तरीकें लगातार विकसित करें, जो समय के अनुरूप हों और जिससे प्रत्येक छात्र के श्रेष्ठ प्रदर्शन को सामने लाया जा सके।


आंध्रप्रदेश के टेडपल्लीगुडम में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के पहले दीक्षांत समारोह को आज संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि युवा इंजीनियरों के लिए यह समय है जब वे जलवायु परिवर्तन के कारण किसानों के सामने मौजूद समस्याओं सहित विभिन्न समस्याओँ का रचनात्मक सोच के साथ समाधान निकालें।


किसानों की आमदनी दोगुना करने और कृषि में लाभप्रदता सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक प्रयास करने का आहवान करते हुए, उप राष्‍ट्रपति ने वैज्ञानिकों और इंजीनियरों से कहा कि वे मौसम की भविष्‍यवाणी के लिए बेहतर प्रणाली विकसित करें और कृषि को और अधिक लोचदार बनाएं।कुपोषण की समस्‍या से निपटने के लिए भारत का खाद्य उत्‍पादन बढ़ाने की बात करते हुए, नायडू ने जोर देकर कहा कि आयातित खाद्य सुरक्षा कभी समाधान नहीं बन सकती।


जलवायु की प्रकृति और मौसम की बदलती प्रणाली के बारे में उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग एक वास्तविकता है और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से कोई इंकार नहीं कर सकता।


उपराष्ट्रपति का मानना था कि इंजीनियर और टेक्नोक्रेट्स स्वच्छ ऊर्जा के चैम्पियन बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन अच्छी प्रौद्योगिकी के जरिए हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “यह आवश्यक है कि हम उस संतुलन को बनाएं। हमारा विकास निरंतर होना चाहिए। आपके प्रत्येक नवोन्मेष का आधार प्राकृतिक संरक्षण होना चाहिए।” नायडू ने शहरी और ग्रामीण भारत के बीच अंतर को कम करने के लिए प्रौद्योगिकी आधारित नवाचार और प्रयास की आवश्यकता पर बल दिया।इस बात पर जोर देते हुए कि विकास समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुंचना चाहिए, उन्होंने ग्रामीण इलाकों में शहरी सुविधाएं पैदा करने पर विशेष ध्यान देने का आह्वान किया।


गांवों को आत्मनिर्भर होने के रूप में विकसित करने के महात्मा गांधी के आह्वान का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने स्कूल, अस्पताल, पुस्तकालय और कौशल विकास केन्द्रों जैसी सुविधाएं सृजित करने का आह्वान किया ताकि ग्रामीण महिलाओं और युवकों को अधिकार संपन्न बनाया जा सके।


तनाव के कारण युवा छात्रों द्वारा कठोर कदमों का सहारा लेने संबंधी खबरों पर चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि कॉलेज के कैंपस देश में सबसे सुरक्षित स्थान होने चाहिए। उन्होंने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से आग्रह किया कि वे युवाओं को तनाव प्रबंधन के तरीके बताने के संबंध में अतिरिक्त सावधानी बरतें।


उपराष्ट्रपति ने एनआईटी जैसे तकनीकी शिक्षण संस्थानों से कहा कि वे जीवन कौशल सिखाएं और छात्रों में नैतिक मूल्यों का विकास करें। उन्होंने कहा कि ऐसे संस्थानों के पोर्टलों से पास होकर निकलने वाले प्रत्येक स्नातक को न केवल शैक्षणिक दृष्टि से दक्ष होना चाहिए बल्कि नीतिपरक, दयालु और ईमानदार भी होना चाहिए।


कार्यक्रम के दौरान उपराष्ट्रपति ने केन्द्रीय शहरी विकास और संसदीय कार्य मंत्री के रूप में अपना कार्यकाल याद किया, जब उन्होंने वर्ष 2015 में एनआईटी आंध्रप्रदेश के आधारशिला समारोह में हिस्सा लिया था।कार्यक्रम में आंध्रप्रदेश के राज्यपाल विश्व भूषण हरि चंदन, आंध्र प्रदेश के आवास मंत्री रंगनाध राजू, आंध्रप्रदेश की महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती तनेती वनिता, एनआईटी आंध्रप्रदेश के निदेशक प्रोफेसर सी.एस.पी.राव, एनआईटी आंध्रप्रदेश के प्रोफेसर जी. अम्बा प्रसाद राव और अन्य व्यक्ति मौजूद थे।