सार्वजनिक सेवा प्रदायिगी में सुधार- सरकारों की भूमिका’ पर क्षेत्रीय सम्मेलन के दौरान नागपुर में तकनीकी सत्र आयोजित

महाराष्ट्र सरकार और महाराष्ट्र राज्य लोक सेवा आयोग के सहयोग से प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) द्वारा-लोक सेवा प्रदायिगी में सुधार - सरकारों की भूमिका' पर दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन का उद्घाटन कल महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ।


सम्मेलन के दौरान, निम्नलिखित विषयों पर तकनीकी सत्र आयोजित किए गए:



  • सेवा का अधिकार कानून के लागू होने से किस प्रकार सार्वजनिक सेवाओं की प्रदायिगी के सुधार में सहायता मिली है।

  • सार्वजनिक सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक प्रदायिगी

  • सार्वजनिक सेवाओं के अधिकार के संबंध में समाज में जागरूकता पैदा करना

  • केंद्रीकृत सार्वजनिक शिकायतें - निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस)

  • सार्वजनिक सेवाओं की प्रदायिगी के बारे में नवोन्मेषी प्रचलन

  • महाराष्ट्र और ओडिशा के जिलों में सार्वजनिक सेवा प्रदायिगी में सुधार पर फोकस के साथ एक भारत-श्रेष्ठ भारत।


उद्घाटन सत्र के बाद दो दिनों तक तकनीकी सत्र आयोजित किए गए।सम्मेलन के पहले दिन, पहला तकनीकी सत्र इस विषय पर था: 'सेवा का अधिकार कानून के लागू होने से किस प्रकार सार्वजनिक सेवाओं की प्रदायिगी के सुधार में सहायता मिली है'। सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रपति के सचिव संजय कोठारी ने की। सत्र के प्रतिभागियों में महाराष्ट्र के आरटीएस के मुख्य आयुक्त,  एस.एस. क्षत्रिय, पंजाब के आरटीएस आयुक्त, मनदीप सिंह संधू और हरियाणा आरटीएस के मुख्य आयुक्त हरदीप कुमार शामिल थे। मनदीप सिंह संधू ने सार्वजनिक सेवाओं की प्रदायिगी में पंजाब पारदर्शिता और जवाबदेही अधिनियम, 2018 की नई विशेषताओं की चर्चा की। उन्होंने कहा कि अधिनियम के तहत 568 सेवाओं को अधिसूचित किया गया है और सभी सार्वजनिक सेवाओं को अधिनियम के तहत रखा जाएगा। श्री हरदीप कुमार ने हरियाणा सेवा अधिकार अधिनियम, 2014 की चर्चा करते हुए कहा कि अधिनियम के तहत 27 विभागों के अंतर्गत 370 सेवाओं को अधिसूचित किया गया है। उन्होंने उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कार के प्रावधान के बारे में बताया।


दूसरा तकनीकी सत्र 'सार्वजनिक सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक प्रदायिगी' पर था और इसकी अध्यक्षता, पंजाब आरटीएस आयुक्त  मनदीप सिंह संधू ने की।


महाराष्ट्र सरकार के आईटी के प्रमुख सचिव एस. वी. आर. श्रीनिवास, तमिलनाडु सरकार के आयुक्त (आईटी) संतोष के मिश्रा, मध्य प्रदेश सरकार के आईटी संवर्धन एजेंसी के एमडी, नंद कुमारम और कर्नाटक के सकाला मिशन के अपर मिशन निदेशक वरप्रसाद रेड्डी पैनलिस्ट थे।  एस. वी. आर. श्रीनिवास ने कहा कि वास्तविक  समय शासन केवल सार्वजनिक सेवाओं की ई-प्रदायिगी से संभव है। उन्होंने सेवाओं की ई-प्रदायिगी के 4 चक्रों की चर्चा की: आरटीएस पोर्टल, शिकायत पोर्टल, नागरिक भागीदारी और सीएम हेल्पलाइन तथा उन्होंनें महानेट और अर्बननेट की भी व्याख्या की। उन्होंने बताया कि नागरिकों की सहायता के लिए 38,000 केंद्र बनाए गए हैं। नंद कुमारम ने मध्य प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक सेवाओं की प्रदायिगी और सार्वजनिक पोर्टल, सीएम हेल्पलाइन और समाधान ऑनलाइन के बारे में विस्तार से बताया।  संतोष के. मिश्रा ने सार्वजनिक सेवाओं की ई-डिलीवरी पर प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि 12,000 सेवा केंद्र स्थापित किए गए हैं और अब तक लगभग 1 करोड़ लाभार्थी हैं। उन्होंने कलेक्टरों द्वारा गुणवत्ता निगरानी पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भाषा की बाधा को दूर करने के लिए एक समर्पित यूट्यूब चैनल लॉन्च किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच डिजिटल विभाजन को बढ़ाने के लिए डिगी स्वयंसेवकों को नियुक्त किया गया है। वरप्रसाद रेड्डी ने कहा कि 8,000 सेवा केंद्र स्थापित किए गए हैं जिनमें 840 सेवाएँ ऑनलाइन हैं। उन्होंने सकाला सेवा प्रदायिगी प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी।


तीसरा तकनीकी सत्र 'सार्वजनिक सेवाओं के अधिकार के संबंध में समाज में जागरूकता पैदा करने' पर था जिसकी अध्यक्षता केरल की सदस्य सचिव (एआरसी) श्रीमती शीला थॉमस ने की। असम सरकार की अपर सचिव देबज्योति दत्ता, पश्चिम बंगाल के डब्ल्यूबीपीआरटीपीएस आयोग के सचिव सुप्रियो घोषाल, उत्तराखंड के आरटीपीएस आयोग के सचिव पंकज नैथानी और गोवा सरकार के सचिव (लोक शिकायत) संजय गिहार पैनलिस्ट थे। सत्र के दौरान,  देबज्योति दत्ता ने असम में सार्वजनिक सेवा प्रदायिगी की चर्चा करते हुए कहा कि संचार आवश्यकताओं का आकलन करने के लिए राज्यव्यापी अभियान शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि असम में अगले साल तक आरटीएस आयोग होगा। सुप्रियो घोषाल ने पश्चिम बंगाल राइट टू पब्लिक सर्विसेज एक्ट, 2013 के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि अधिनियम के तहत 24 विभागों की 216 सेवाओं को कवर किया गया है। पंकज नैथानी ने वेबसाइटों, प्रेस विज्ञप्ति, पुस्तिकाओं, रेडियो, पर्चे, पोस्टर, टोल फ्री नंबरों और बल्क एसएमएस सेवाओं के माध्यम से सार्वजनिक जागरूकता पैदा करने के बारे में बताया। संजय गिहार ने सार्वजनिक सेवा वितरण को बेहतर बनाने में सरकार की भूमिका के बारे में बताया।


सम्मेलन के दूसरे दिन, तीन तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। सम्मेलन का पांचवां सत्र केंद्रीयकृत लोक शिकायत - निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) पर आयोजित किया गया था। सत्र की अध्यक्षता महाराष्ट्र सरकार की जीएडी (ओ एंड एम), सचिव श्रीमती अंशु सिन्हा द्वारा की गई। प्रतिभागियों में डीएआरपीजी की डीएस श्रीमती प्रिसका मैथ्यू, रेल मंत्रालय के ईडी विवेक श्रीवास्तव और हरियाणा के 'एफ' एनआईसी के वैज्ञानिक गणेश दत्त शामिल थे। इस सत्र के दौरान, विवेक श्रीवास्तव ने भारतीय रेलवे में शिकायत प्रबंधन के बारे में बात की और रेल मदद पोर्टल के बारे में विस्तार से बताया कि भारतीय रेलवे विभिन्न हितधारकों के लिए 4 सबसे बड़ा नेटवर्क है।


सम्मेलन का पांचवां सत्र सार्वजनिक सेवाओं की प्रदायिगी से संबंधित नवोन्मेषी प्रचलनों पर था।


उदयपुर की डीसी सुश्री आनंदी ने महिलाओं के मासिक धर्म स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता पैदा करने पर चर्चा की और इस मुद्दे के समाधान के लिए जिला प्रशासन द्वारा किए गए प्रयासों के बारे में बताया।सम्मेलन का अंतिम तकनीकी सत्र महाराष्ट्र एवं ओडिशा में लोक सेवा प्रदायिगी में सुधार पर फोकस के साथ 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' पर था।तकनीकी सत्रों के बाद विचार-विमर्शों का आयोजन किया गया जिसमें प्रतिनिधियों ने पैनलिस्टों के साथ सार्वजनिक सेवाओं के अधिकार के कार्यान्वयन से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की और अपने अनुभव साझा किए।