में* *धीरे धीरे शीख रही हूं*  कि स्वामी जीतू ।

 *ओशो गुर्जीएफ सिस्टम* 
*मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...*
मुझे हर उस बात पर प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए जो मुझे बाद में चिंतित करती है।
 *मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...* 
जिन्होंने मुझे चोट दी है मुझे उन्हें चोट नहीं देनी चाहिए क्योंकि उसमे मेरी ही   उर्जा व्यय होती   है ।
 *मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...* 
शायद सबसे बड़ी समझदारी का लक्षण ये है की, भिड़ के साथ, जाने के बजाय अलग हट जाने में ही मजा  है।
 *मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...* 
अपने साथ हुए प्रत्येक बुरे बर्ताव पर प्रतिक्रिया करने में हमारी जो शक्ति और ऊर्जा सब खर्च हो जाती  है,  वह हमको उदास  कर देती है ।
 *मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...* 
मैं हर आदमी से वैसा व्यवहार नहीं पा सकूंगी जिसकी मैं अपेक्षा करती हूँ। जो बाद में , मेरे मन को गुस्से से भर जाता हैं ।
 *मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...* 
किसी का दिल जीतने के लिए बहुत कठोर प्रयास करना, समय और ऊर्जा की बर्बादी है और यह हमको कुछ नहीं देता, केवल खालीपन से भर देता है। We
 *में धीरे धीरे शिख रही हूं कि...* 
लोगो को प्रेम में रस नहीं, है, उनको सेक्स में ही रस है । इस लिए ऐसे लोगो से दूरी ही बनाई रखना अच्छा है ।
 *मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...* 
जवाब नहीं देने का अर्थ यह कदापि नहीं कि यह सब मुझे स्वीकार्य है, बल्कि यह कि मैं इससे ऊपर उठ जाना बेहतर समझती हूँ।
 *मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...* 
कभी-कभी कुछ नहीं कहना सब कुछ बोल देता है। इसलिए मैने मौन रहना चालू कर दिया है ।
 *मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...* 
किसी परेशान करने वाली बात पर प्रतिक्रिया देकर हम अपनी भावनाओं पर नियंत्रण की शक्ति किसी दूसरे को दे बैठते हैं।
 *मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...* 
मैं कोई प्रतिक्रिया दे दूँ तो भी कुछ बदलने वाला नहीं है। इससे लोग अचानक मुझे प्यार और सम्मान नहीं देने लगेंगे। यह उनकी सोच में कोई जादुई बदलाव नहीं ला पायेगा।
 *मैं धीरे-धीरे सीख रही हूँ कि...* 
जिंदगी तब बेहतर हो जाती है जब हम इसे अपने आसपास की घटनाओं पर केंद्रित न करने के बजाय उसपर केंद्रित कर देते हैं जो हमारे अंतर्मन में घटित हो रहा है। 
 *में धीरे धीरे शिख रही हूं कि...* 
लोग हसने का मतलब गलत समझ ने लगते हैं, जैसे ही कोई पुरुष को स्माइल दिया, वो समझने लगते है, की में उनके प्रेम में हूं । और उसमे से गलत वेहमी बनती हैं, फिर वो दुख उत्पन होता है ।
 *में* *धीरे धीरे शीख रही हूं*  *कि* 
फिर हम ने चिंतित करने वाली हर छोटी-छोटी बात पर प्रतिक्रिया 'नहीं' देना ओर ओशो गुरजिएफ और कृष्णमूर्ति का बताया हुआ, ध्यान करना चालू कर दिया है, ध्यान एक स्वस्थ और प्रसन्न जीवन का 'प्रथम अवयव' है
*मैं धीरे धीरे सीख रही हूं,*  *की* 
 बिना ध्यान, ये सब उपर की बात संभालना मुश्किल है, अशक्य है, इस लिए मैं धीरे धीरे ज्यादा ध्यान करने लगी हूं । 
 *में धीरे धीरे शीख रही हूं कि...* 
ओशो, गुरजिएफ और कृष्णमूर्ति को छोड़ के बाकी सब बाबा बकवास है, । बाकी गुरु को सुनना एक नया फसाना है ।
स्वामी जीतू ।
9870550891.