अयोध्या मामले पर फैसला देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने क्यों चुना शनिवार का दिन सुबह 10.30 बजे सुनाएगा फैसला

नई दिल्ली - अयोध्या मामले में शनिवार नौ नवंबर सुबह 10.30 बजे सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाने जा रहा है इस मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद देश की शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था| तभी से यह अनुमान लगाया जा रहा था कि रंजन गोगोई के रिटायर होने से पहले इस मामले में फैसला आ जाएगा चीफ जस्टिस गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं वैसे तो कोर्ट किसी भी दिन बैठ सकती है मामले को सुन सकती है और फैसला दे सकती है लेकिन फिर भी 17 नवंबर को रविवार है और सामान्यत इतने बड़े मामलों में फैसला अवकाश के दिन नहीं आया करता साथ ही जिस दिन चीफ जस्टिस रिटायर हो रहे हों उस दिन भी बड़े मामलों में फैसले आमतौर से नहीं सुनाए जाते हैं इससे पहले 16 नवंबर को शनिवार का भी छुट्टी का दिन है 
ऐसे मेंcji रंजन गोगोई का अंतिम कार्यदिवस 15 नवंबर को पड़ रहा है इससे यह अनुमान लगाया गया कि अयोध्या मामले का फैसला ब्श्रप् गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच 14 या 15 नवंबर को सुना सकती हैण् लेकिनए इसमें भी एक पेंच सामने आयाण् आम तौर से अदालत किसी फैसले को सुनाती है तो उससे संबंधित कोई तकनीकी गड़बड़ी पर अगले दिन वादी या प्रतिवादी में से कोई भी एक बार फिर से अदालत की शरण लेकर इस गड़बड़ी को दूर करने की गुहार लगाता है इसमें भी एक या दो दिन लग जाते हैं इस मामले में 14-15 नवंबर को फैसले की स्थिति में यह एक.दो दिन फिर खिसक कर 16-17 नवंबर हो जाते अयोध्या मामले पर फैसले से पहले पीएम मोदी ने जनता से की यह अपील इसके बावजूद न ही अदालत और न ही सरकार से किसी भी तरफ से यह संकेत नहीं मिला कि अयोध्या मामले में फैसला 14-15 नवंबर से पहले भी आ सकता है फिर अचानक शुक्रवार रात यह सूचना आती है कि अयोध्या मामले पर फैसला शनिवार सुबह साढ़े दस बजे सुनाया जाएगा माना जा रहा है कि यह अचानक ऐलान इस सुविचारित रणनीति का हिस्सा है कि इस बेहद संवेदनशील भावनाओं और आस्थाओं से जुड़े मामले में असामाजिक तत्वों को किसी तरह की खुराफात के लिए तैयारी का मौका नहीं मिल सकेण् औरए इसीलिए शुक्रवार की रात ऐलान किया गया कि एक रात के कटने के बाद शनिवार की सुबह होने के साथ ही मामले में फैसला सुना दिया जाएगा