वित्त आयोग 13 मार्च, 2020 को नई दिल्ली में सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ परामर्श बैठक करेगा। यह बैठक वर्ष 2021-26 के लिए वित्त आयोग की अंतिम रिपोर्ट से संबंधित विषयों पर विचार-विमर्श करने के लिए बुलाई गई है जिसे आयोग द्वारा अक्टूबर 2020 में प्रस्तुत करने की उम्मीद है। यह बैठक आयोग के राज्यों के साथ आयोग द्वारा निरंतर कार्य करने का हिस्सा है। आयोग विशेषकर वित्त मंत्रियों से इस बारे में राय लेगा कि राज्य एफआरबीएम को किस प्रकार केन्द्रीय एफआरबीएम से जोड़ा जा सकता है। साथ ही वह राज्य सरकारों द्वारा प्रस्तावित राज्य विशेष की अनुदान प्रस्तावों की प्राथमिकता तय करेगा। आयोग किसी भी अतिरिक्त् जानकारी का स्वागत करेगा जिससे वित्तीय संघवाद से जुड़े जटिल मुद्दों के बारे में उसके दृष्टिकोण की जानकारी मिलती हो। आपदा प्रबंधन और शहरी स्थानीय निकायों तथा ग्रामीण स्थानीय निकायों की उल्लेखनीय ढंग से विस्तारित प्रतिक्रिया पर विचार करते हुए, धनराशि के अधिकतम इस्तेमाल के बारे में भी आयोग राज्यों के साथ विचार-विमर्श करेगा। राज्य वित्त आयोगों के समय पर गठन के मुद्दे के साथ-साथ उनकी सिफारिशों के बाद की गई कार्रवाई पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। आयोग राज्य घरेलू उत्पाद (एचडीपी) के संबंध में राज्य सरकारों के उपायों और आयोग के निर्णय की अवधि के लिए उनके द्वारा कराधान में होने वाले प्रस्तावित उतार-चढ़ावों पर भी विचार-विमर्श करने की योजना बना रहा है। यह काफी महत्व रखता है क्योंकि इसका प्रभाव राजस्व घाटा अनुदानों के लिए संसाधनों की मात्रा पर पड़ सकता है।
15वें वित्त आयोग की संदर्भ शर्तों में राष्ट्रपति ने नवंबर, 2019 में संशोधन करके आयोग की अवधि अक्टूबर, 2020 तक बढ़ा दी थी। अवधि बढ़ाते समय आयोग से दो रिर्पोटें देने के लिए कहा गया था जिनमें से एक वर्ष 2020-21 और दूसरी वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए है। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए वित्त आयोग की रिपोर्ट को केंद्र सरकार ने स्वीकार कर लिया और उसे केन्द्रीय बजट 2020-21 के साथ लोकसभा में पेश किया गया। आयोग अब विस्तारित अवधि के लिए वित्तीय हस्तांतरण की सिफारिश के कार्य को पूरा करने में लगा हुआ है।