इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि समाज सेवा के महत्व को समझना न केवल राष्ट्र निर्माण के लिए, बल्कि आत्मनिर्णय के लिए भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सभी को समाज का कर्ज चुकाने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक विश्वविद्यालय की स्थापना और संचालन में पूरा समाज योगदान करता है, इसलिए विश्वविद्यालयों को भी समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि छात्र कुछ समय आस-पास के गांवों में बिता सकते हैं और ग्रामीणों को उनकी समस्याएं हल करने में मदद और उनके जीवन स्तर को सुधारने का प्रयास कर सकते हैं। वे ग्रामीणों को सरकार की विभिन्न कल्याणकारी पहलों के बारे में जागरूक कर सकते हैं। राष्ट्रपति को यह जानकर खुशी हुई कि विश्वविद्यालय ने आसपास के पाँच गाँवों को गोद लेने की पहल की है और ग्रामीण बच्चों को पढ़ाने की ज़िम्मेदारी भी ली है। राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने कहा कि समाज में अपेक्षाकृत पीछे रह गए लोगों के लिए कई ऐसे कार्यक्रम चलाए जा सकते हैं।
राष्ट्रपति ने झारखंड के केंद्रीय विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह को संबोधित किया