ग्रेटर नोएडा (भारत भूषण ):- जी एल बजाज संस्थान में सड़क सुरक्षा पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा का विषय था ‘किस तरह दे सकते हैं युवा भारतीय सड़कों को सुरक्षित बनाने में सरकार को सहयोग’। इस परिचर्चा का आयोजन संस्थान ने मशहूर कंपनी ठव्ैभ् के साथ मिल करकिया। यह कार्यक्रमजी एल बजाज संस्थान मेंBOSH के साथ मिल कर ‘सड़क सुरक्षा’ पर परिचर्चा, सड़क परिवहन निगम तथा जी.एल.बजाज के कुछ समय पूर्व हुए करारका हिस्सा था।इस कार्यक्रम में वक्ता के रूप में उ.प्र. सरकार के उप परिवहन आयुक्त संजय माथुर, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के मुख्य चिकित्साअधिकारी डाॅ. अनुराग भार्गव, युवा मंत्रालय एवं खेल मामलों में सहायक कार्यक्रम सलाहकार (एनएसएस) डाॅ. कमल कुमार करतथा अति. पुलिस उपायुक्त (नोएडा) अनिलकुमार झा उपस्थित थे।इस अवसर पर संस्थान के निदेशक राजीव अग्रवाल ने कहा-सड़क सुरक्षा एक आम और महत्व पूर्ण विषय है।
आम जनता में खासतौर से नये आयु वर्ग के लोगों में अधिक जागरुकता लाने के लिये जी.एल. बजाज में इसे शिक्षा, सामाजिक जागरुकता आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों से जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि सभी को सड़क यातायात नियमों की अच्छे से जानकारी होनी चाहिये, खासतौर से बच्चे और युवा लोगों को जो महत्वपूर्ण सड़क दुर्घटना के खतरे पर रहते हैं।इस अवसरपर बोलते हुए संजय माथुर ने कहा कि आँकड़ों के अनुसार (विश्व स्वास्थ्य संगठन, 2008), ऐसा पाया गया है कि अस्पतालों में ज्यादा भर्ती होने का मामला और मृत्यु की मुख्य वजह सड़क दुर्घटना है।डाॅ. कुमारकर ने ‘सड़क सुरक्षा क्या है?’ पर बात की।उन्होंने कहा कि सभी सड़क सुरक्षा उपायों के प्रयोग द्वारा सड़क हादसों की रोक-थाम और बचाव सड़क सुरक्षा है।सड़क पर यात्रा करते समय ये लोगों को बचाने के लिये है। ये सड़क इस्तेमाल करने वाले सभी लोगों को सुरक्षित रखने के लिये जैसे पैदल चलने वाले, दो-पहिया, चार-पहिया, बहु-पहिया और दूसरे वाहन इस्तेमाल करने वालों के लिये। सभी लोगों के लिये उनके पूरे जीवन भर सड़क सुरक्षा उपायों का अनुसरण करना बहुत ही अच्छा और सुरक्षित है।सभी को गाड़ी चलाते समय या पैदल चलते वक्त दूसरों का सम्मान करना चाहिये और उनकी सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिये।
अनिल कुमार झा ने कहा कि सड़क किनारे हादसें, चोट और मृत्यु को टालने के लिये बहुत महत्वपूर्ण पहलूओं में से एक है सड़क पर लोगों की सुरक्षा।दुर्घटनाओं और मृत्यु की पूरी सूचना के बारे में राष्ट्रीय सांख्यिकीय आँकड़ों के आधार पर सड़क सुरक्षा के महत्व का हम मूल्यांकन कर सकते हैं।लगभग 42ः मामलों में पैदल चलने वाले और एक तरफ का सड़क इस्तेमाल करने वाले होते हैं।उन्होंने कहा कि आम लोगों के बीच जागरुकता उत्पन्न करने के कई सारे तरीके हैं जैसे सेमिनार, कार्यशाला, पाठ्यक्रम में मूल सड़क-सुरक्षा पाठ जोड़ने के द्वारा विद्यार्थी शिक्षा, रुको, देखों, सुनो, सोचो और फिर पारकरो अर्थात् ग्रीन क्रॉसकोड के बारेमें लोगों को जागरुक बनाये, यातायात लाईटों को सीखना, रोड चिन्हों को समझना आदि।
डाॅ. अनुरागभार्गव ने सड़क समस्याओं से बचने के उपायों पर चर्चा की।सभी सड़क समस्याओं से बचने के लिये सड़क सुरक्षा के कुछ प्रभावकारी उपाय जैसे वाहन के बारे में मूल जानकारी, मौसम और सड़क के हालात के अनुसार रक्षात्मक चालन, वाहन लाईटोंऔरहॉर्न का प्रयोग, सीटपेटीका पहनना, वाहन शीशा का सही प्रयोग, अधिक-गति से बचना, रोडलाईट को समझना, सड़क पर दूसरे वाहनों से दूरीबना के रखना, परेशानी की स्थितिको संभालने की उचित समझ, टी.वी पर डॉक्यूमेंटरी जागरुकता का प्रसारण आदि को उन्होंने अत्यन्त उपयोगी बताया।
इस अवसर पर संस्थान के उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल ने कहा कि सड़क सुरक्षा के नियमों को धत्ता बताकर अपनी शान की जिंदगी के पीछे युवा अपनी जान गंवा रहा है। शराब पीकर गाड़ी चलाना, और तमाम विज्ञापनों आदि को नजर अंदाजकर के गाड़ी चलाते वक्तदु र्घटना की मुख्य वजह है। आज सड़क पर चलने वाले अस्सी फीसद वाहन चालकों को यातायात नियमों की भली भाति जानकारी ही नहीं है।इन तथ्यों के विश्लेषण से एक बात यह निकलकर सामने आती है, कि नियमों के निर्माण और जागरूकता सप्ताहका आयोजन भर इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए काफी सिद्ध नहीं होने वाला है, इसकेलिए एक व्यापक निगरानी तंत्र की जरूरत है, जिससे नियमों को सही दिशा में क्रियान्वयन हो सके और युवा व परवारजनों को भी जागरूकता दिखानी होगी, तभी देश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं से निजात मिल सकती है, इसके साथ नाबालिग बच्चों के हाथों से वाहनों को दूर रखना ही समझदारी भरा रवैया हो सकता है।इसके साथ युवाओं को भी सड़क पर जोश से नहीं होश से काम लेने की आवश्यकता है।नीति के निर्माण से कार्य सफल नहीं होता है, उसके सफलकार्यान्वयन से ही सफलता अर्जित की जासकती है।
कार्यक्रम का समापन डाॅ. मंजू खत्री के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।