ग्रामीण बेटियों के उठायी अपने जन्म और सम्मान की आवाज

कुदरत का नायाब तोहफ़ा माने जाने वाले बेटियां आज भी गर्भ और धरा पर सुरक्षित नहीं है।  गर्भ में उनके अपने ही उन्हें मारने पर आतुर है तो धरा पर वो हर दिन कहीं न कहीं वो दरिंद्रो का शिकार हो रही है ऐसे में देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी में बेटियों को गर्भ के साथ ही धरा पर सुरक्षित करने के उद्देश्य से 1000 बच्चों ने समूह कलाकृति बनाकर समाज में बेटियों के जन्म सुरक्षा और अधिकार की आवाज बुलंद की। 
वाराणसी के सेवापुरी स्थित सिल्वर ग्रोव पब्लिक स्कूल में कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ दो दशकों से जनजागरण अभियान चला रही आगमन सामाजिक संस्था के महिला विंग आगमन शक्ति द्वारा मानव समूह कलाकृति  के जरिये एक हजार से अधिक छात्र छात्राओं ने 250 × 150 फीट की कलाकृति बनाकर कन्या भ्रूण हत्या रोकने के साथ साथ समाज में बेटियों की सुरक्षा और अधिकार का सन्देश दिया।  इस कलाकृति में बेटी बचाओं के साथ ही बेटी की आकृति बच्चियों के समूह द्वारा बनाई गयी।  इस दौरान छात्र छात्राओं ने "आगमन ने ठाना है बेटी को बचाना है" , "बेटी है कुदरत का उपहार मत करो इसका तिरस्कार" ,"बेटी है तो कल है","कन्या भ्रूण हत्या महापाप है" जैसे नारे लगाएं। महिला विंग की अध्यक्ष रचना श्रीवास्तव ने प्रतिभागियों को जहां भ्रूण हत्या के खिलाफ आवाज बनने साथ ही महिला सम्मान की शपथ दिलाई तो वही उपस्थित ग्रामीण जनों को बेटियों को शिक्षित और सम्मान करने का संदेश भी दिया । संस्था के संस्थापक सचिव डॉ संतोष ओझा ने बताया की आज भी इस समाज में बेटियों को न तो समाज में और न ही गर्भ में समान अधिकार मिल पाया है बेटियों को गर्भ और समाज में बराबरी का अधिकार दिलाने तक हमारा ये अभियान जारी रहेगा।  आयोजन में महिला विंग की ओर से रचना श्रीवास्तव वंदना चतुर्वेदी,आकांक्षा मिश्रा,रश्मि मिश्रा,शिवानी गुप्ता,जया सिंह,आकांशी गुप्ता,रुमा बनर्जी,नेहा चौबे,लक्ष्मी सिंह,रचना झां,सरिता केशरी और मुख्य टीम से संस्थापक सचिव डॉ संतोष ओझा ,वी पी सिंह,अभिषेक जायसवाल,जादूगर किरण, जीतेन्द्र,रजनीश सेठ  आदि लोग शामिल रहे।