युवाओं को प्रभावित करने वाले सामाजिक न्याय के गंभीर मुद्दों पर संबोधित करने के लिए 40 चेंजमेकर्स, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि और इनोवेटर्स दिल्ली में दो दिन तक जुटेंगे

नई दिल्ली( फेसवार्ता) 8 अक्टूबर 2019 : इस समय देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ व्यापक स्तर पर सामाजिक और राजनैतिक अंसतोष फैला है। इसी समय  देश में नौजवानों पर प्रभाव डालने वाले सबसे बड़े कार्यक्रमों में एक यूथ की आवाज समिट के दूसरे संस्करण का आयोजन किया जा रहा है। इस सम्मेलन में उन सभी मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, जिससे भारत में नौजवानों पर प्रभाव पड़ रहा है। सम्मलेन  में विभिनिन मुद्दों पर चर्चा होगी, जिसमें स्वतंत्र रूप से विचारों की अभिव्यक्ति के लिए ऑनलाइन के शानदार प्लेटफॉर्म बनकर उभरने पर तो विभिन्न विचार सामने आएंगे। इसके लावा युवाओं की व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर उठ रहे खतरों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। युवाओं की सेहत, विशेषकर उनके मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के उपाय पर चर्चा की जाएगी। मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता तक सभी महिलाओं की पहुंच बनने के मसले पर भी विभिन्न वर्गों के लोग अपने विचार रखेंगे।  


यूथ की आवाज समिट के दूसरे संस्करण का आयोजन 20 और 21 दिसंबर को नई दिल्ली के जनपथ स्थित डॉ. आंबेडकर इंटरनेशशल सेंटर में किया जाएगा।
2018 में लॉन्च “यूथ की आवाज” समिट अब ऐसा इकलौता सबसे बड़ा फोरम बन गया है, जहां नौजवान भारतीय दुनिया भर को निश्चित आकार में ढाल रहे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श कर सकते हैं। उन पर खुलकर चर्चा कर सकते हैं और इन पर कार्रवाई के लिए कदम उठा सकते हैं। केवल एक वर्ष के समय में समिट गैर पक्षपातपूर्ण और फैसले लेने से अलग हटकर एक ऐसा प्लेटफॉर्म बन गया है, जहां पर नौजवान समाज को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर स्वतंत्र ढंग से विचार कर सकते हैं, मंथन कर सकते हैं, वाद-विवाद कर सकते है और उन मुद्दों के पक्ष और विपक्ष में अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं।
समाज को बदलने में जुटे 40 से ज्यादा चेंजमेकर्स के स्वतंत्र और निष्पक्ष विचारों की गूंज सम्मेलन में 2 दिन तक सुनाई देगी। “यूथ की आवाज” समिट के दूसरे संस्करण में महिलाओं के खिलाफ हिंसा, मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता को अपनाने, जलवायु परिवर्तन, व्यक्तिगत स्वतंत्रता समेत अन्य मुद्दों पर पुरजोर ढंग से आवाज बुलंद की जाएगी।
 “यूथ की आवाज” के संस्थापक और निदेशक श्री अंशुल तिवारी ने कहा, “समिट में कई पैनल और वर्कशॉप का आयोजन किया जाएगा, जो युवाओं को कई मोर्चों पर मजबूत बनाएंगे। आजकल समाज में दिखाई दे रही असंतोष की भावना को ध्यान में रखते हुए वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है कि हम में से हरेक व्यक्ति भारत के विकास के लिए कंधे से कंधा मिलकर एक एकजुट होकर काम करें। हर भारतीय को मजबूत बनना आज के दौर की सबसे बड़ी जरूरत है। इस बार हमने व्यक्तिगत स्वतंत्रता के पैनल पर भी डिस्कशन शुरू करने का फैसला किया है। पैनल में खाने की, प्यार करने की, कपड़े पहनने की, किसी भी धर्म का पालन करने की से स्वतंत्रता के साथ विचारों की अभिव्यक्ति की आजादी पर खुलकर चर्चा की जाएगी। समिट के एक सेशन में भारत के नौजवानों के लिए प्रासंगिक मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। इसमें चुनाव के समय राजनैतिक दलों की ओर से किए गए वायदों पर भी विचार-विमंर्श होगा। सम्मेलन में इस विषय पर भी चर्चा की जाएगी कि राजनैतिक दल नौजवानों को प्रभावित करने के लिए किस तरह अपनी कैंपेन चला सकते हैं और युवाओं से किस तरह अपनी पार्टी को वोट देने की अपील कर सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र की रिफ्यूजी एजेंसी यूनाइटेड नेशंस हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजी (यूएनएचसीआर) से संबंधित चार शरणार्थी एक परफॉर्मेंस से अपनी अब की यात्रा को लोगों के सामने पेश करेंगे। वह यह बताएंगे कि जब किसी की जिंदगी रातों रात बदल दी जाए और उसे दर-बदर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर कर दिया जाए तो इसका उसके ले क्या मतलब होता है। 
भारत में काफी तेज रफ्तार से इंटरनेट का प्रयोग करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। कश्मीर में इंटरनेट बंद होने की पृष्ठभूमि में अभिव्यक्ति, सेंसरशिप और ऑनलाइन सेफ्टी पर चर्चा के लिए सेशन आयोजित किया जाएगा। दुनिया भर के किसी भी देश में इंटरनेट इतने लंबे समय तक बंद नहीं हुआ है, जितने समय से कश्मीर में इंटरनेट को बंद रखा गया है। इस सम्मेलन का एक प्रमुख आकर्षण  नोबेल पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी की ओर से टाउनहॉल की पेशकश होगी, जिसमें वह “द फ्यूचर ऑफ यंग इंडिया” (नौजवान भारत के भविष्य) पर निगाह डालेंगे। विभिन्न मुद्दों पर जोरदार विचारविमर्श के साथ समिट में एक्सप्रेसिव आटर्स बेस्ड थेरेपिस्ट डॉ. अदिति कॉल की ओर से लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने (“मेकिंग मेंटल हेल्थ मैटर”) के गुर सिखाने के लिए वर्कशॉप आयोजित की जाएगी। अशोका इंडिया में वेंचर असोसिएट शांतनु पॉल सहानुभूति, संवेदना और हमदर्दी की ताकत (“द पावर ऑफ एम्पथी”) पर एक सेशन करेंगे। इसके अलावा समिट में लगाई जाने वाली दूसरी वर्कशॉप में सार्वजनिक जगहों पर बोलने की कला सिखाई जाएगी। इसके अलावा मोबाइल जर्नलिज्म के मूलभूत सिद्धांतों पर भी एक कार्यशाला आयोजित की जाएगी। 
“यूथ की आवाज” समिट ने हमेशा नौजवानों की आवाज को पुरजोर ढंग से उठाया है। इस वर्ष सम्मेलन में अपने विचार रखने वाले प्रमुख वक्ताओं में क्लाइमेट चैंपियन 16 साल के अमन शर्मा प्रमुख हैं, जो जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर अपने विचार रखेंगे। 11वीं कक्षा के स्टूडेंट की इस परिचर्चा का शीर्षक “मैं स्वच्छ हवा के लिए विरोध करने में मुझे अपने स्कूल की याद क्यों आ रही है। “ (“वाई आई एम मिसिंग माई स्कूल टु प्रोटेस्ट फॉर क्लीन एयर”) होगा। क्लाइमेट चेंज की दिशा में कार्य करने वाली एक और युवा कार्यकर्ता रिद्धिमा पांडे “वाई आई स्यूड द गर्वमेंट्स ऑफ 5 कंट्रीज” (“मैंने पांच देशों की सरकारों पर मुकदमा क्यों किया”) विषय पर अपने विचार व्यक्त करेंगी। अपने संबोधन में वह उस याचिका के बारे में बताएंगी, जो उन्होंने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में सरकार के खिलाफ 2017 में दायर की थी। इस अवसर पर भारत की पहली महिला उबर ड्राइवर गुलेश चौहान भी “मेकिंग पब्लिक ट्रांसपोर्ट वुमन-फर्स्ट” (“महिलाओं को सबसे पहले सावर्जनिक यातायात की सुविधा हासिल हों ”) बिहार में ग्राम पंचायत राजसिंहवाहिनी की मुखिया रितु जायसवाल, एक अच्छा नेता बनने के कौन-कौन से गुण है, (“व्हॉट मेक ए गुड लीडर”)  विशय पर विचार पेश करेंगी। इसके अलावा समाज में बदलाव लाने के इच्छुक कई दूसरे यंगचेंज मेकर्स भी अपने विचार पेश करेंगे। वह आजकल के दौर की उभरती हुए समस्याओं के लिए नए-नए समाधान “यूथ की आवाज” समिट में पेश करेंगे।