नीति आयोग जनसंख्या स्थिर रखने के उपायों पर चर्चा तथा इसके लिए एक रोड मैप तैयार करने के लिए कल 20 दिसंबर को नयी दिल्ली में ''जनसंख्या स्थिरीकरण की सोच को साकार करने: किसी को पीछे नहीं छोड़ने'' विषय पर पॉपुलेशन फाउंडेशन के साथ मिलकर एक सलाहकार सम्मेलन आयोजित करेगा।
यह बैठक देश की जनसंख्या नीति और परिवार नियोजन कार्यक्रमों को मजबूत करने के तरीकों और साधनों पर चर्चा करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों, विशेषज्ञों को एक मंच पर लाएगी। सम्मेलन के सुझाव 15 अगस्त 2019 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश की जनसंख्या को स्थिर बनाए रखने के किए गए आह्वान को साकार करने में मदद करेंगे।सुझावों के आधार पर नीति आयोग द्वारा तैयार किया जाने वाले मसौदे के परिवार नियोजन कार्यक्रमों में आने वाली कमियों को दूर करने में मददगार होने की संभावना है। यह किशोरों और युवाओं, अंतर-विभागीय अभिसरण, मांग निर्माण, गर्भनिरोधक सेवाओं तक पहुंच और देखभाल की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करके परिणामों में क्षेत्रीय विषमताओं को संबोधित करने के लिए रचनात्मक सिफारिशें देगा।
सम्मेलन से कुछ प्रभुख सुझावों के निकल कर आने की उम्मीद है जो इस प्रकार है:
- गर्भनिरोधकों के विकल्प बढ़ाना, बच्चों के बीच जन्म के अंतर को बढ़ाना तथा महिलाओं को गर्भाधान में देरी के तरीकों तथा बच्चों के जन्म के बीच अंतर को बढ़ाने के तौर तरीकों की जानकारी देना।
- विवाह और यौन संबंधों की प्रथाओं के बारे में स्वास्थ्य और उम्र संबधित चयनित सामाजिक निर्धारकों की जानकारी देना।
- परामर्श सेवाओं सहित देखभाल सेवाओं को बेहतर बनाने दवाओं के दुष्प्रभावों के बेहतर प्रबंधन और परिवार नियोजन सहायता।
- देश की तीस प्रतिशत युवा आबादी की जरुरतों को ध्यान में रखते हुए परिवार नियोजन योजना के लिए बजटीय आवंटन बढ़ाना ।
- अभिनव व्यवहार-परिवर्तन संचार रणनीतियों में बड़े पैमाने पर निवेश करके गर्भनिरोधक के लिए मौजूदा सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाओं को संबोधित करना।
- अंतर-विभागीय अभिसरण को बढ़ावा देने और बहुपक्षीय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जनसंख्या स्थिरीकरण और परिवार नियोजन को राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में लेना।
एक अरब 37 करोड़ की जनसंख्या के साथ भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। देश में जन्म दर में गिरावट आ रही है लेकिन इसके बावजूद जनसंख्या की दर बढ़ रही है क्योंकि देश की तीस फीसदी से ज्यादा आबादी युवा और प्रजनन आयु वर्ग की है। देश में इस समय करीब तीन करोड़ विवाहित महिलाएं हैं जिनकी उम्र 15 से 49 वर्ष के बीच है जिनके लिए गर्भनिरोधक उपायों और विकल्पों की काफी जरुरत है। परिवार नियोजन को सार्वभौमिक रूप से सबसे बेहतर विकास निवेश माना जाता है। भारत को अपने सतत विकास लक्ष्यों और आर्थिक आकांक्षाओं को साकार करने के लिए, यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि लोगों तक गर्भनिरोधकों और गुणवत्ता वाली परिवार नियोजन सेवाओं की पहुंच बन सके।