बिहार की राजधानी पटना में परिवहन सचिव संजय अग्रवाल और शिक्षा विभाग के सचिव सतीश चंद्र झा. बिहार सरकार को नए नियम लागू करने के लिए ज्ञापन दिया.
हेलमेट मैन राघवेंद्र कुमार ने कहा सरकारी राजस्व भरने के लिए बहुत सारे नियम बनाए गए फिर भी प्रतिदिन हजारों मां की गोद खाली हो रही है सड़कों पर जिसे रोकने में प्रशासन असफल दिखाई दे रही है.राघवेंद्र कुमार के दोस्त की मौत अप्रैल 2014 में हुआ था जो अपने घर का अकेला चिराग था. इंजीनियरिंग की पढ़ाई दिल्ली से कर रहा था. हेलमेट नहीं लगाने की वजह से सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. इस घटना से सीख लेकर राघवेंद्र कुमार तब से लोगों को हेलमेट देना शुरुआत किया. हेलमेट देने की वजह से लोगों ने उनका नाम हेलमेट मैन रख दिया
अपने दोस्त की किताब किसी गरीब बच्चे को दिया था मौत के बाद. शुरू में जब लोगों को हेलमेट दे रहे थे तो लोग समझना नहीं चाहते थे आखिर यह व्यक्ति क्यों निशुल्क में हमें हेलमेट दे रहा है. और लोग सड़क पर कोई एक कोई दो हेलमेट लेकर अपने घर चला जाता था. हेलमेट मैन को बहुत हैरानी हो रही थी जो उनका उद्देश्य लोगों को मैसेज देने का था वह नहीं हो पा रहा था. एक दिन उनके फोन पर किसी औरत का कॉल आया उसने बताया आपका पुस्तक दिया हुआ मेरा बेटा जिले में प्रथम स्थान लाया है. हेलमेट मैन को बहुत खुशी मिली क्योंकि वह पुस्तक उनके दोस्त की थी.
तब से हेलमेट मैन ने अपना मिशन बनाया जो उन्हें पुरानी पुस्तक देगा उसे वह हेलमेट देंगे.
इस कार्य में अपनी नौकरी छोड़ कर पूरे जी जान से लग गए. दिल्ली से लेकर बिहार तक अपने अभियान को मिशन बनाकर कार्य करने लगे. आज कई सारे राज्य में यह कार्य चल रहा है और कई सारे चौराहे पर बुक बैंक बॉक्स भी लगा रखे हैं जो पटना में भी दिखता है. इस कार्य को करने में पैसे की समस्या शुरू से खटकती रही लेकिन हार नहीं मानी जब किसी ने मदद नहीं की हेलमेट मैन दिल्ली में एक घर खरीदा था उसे भी बेच दिया. अब तक 25000 हेलमेट बांटकर 200000 गरीब बच्चों को निशुल्क किताब दे चुके हैं. उनके अभियान से जो बच्चे पुरानी पुस्तक लेकर पढ़ रहे हैं इस साल 4 बच्चों ने जिले में प्रथम स्थान लाया अलग अलग राज्य से. एक तरफ राघवेंद्र कुमार से हेलमेट लेकर लोगों को दुर्घटना में सुरक्षा मिल रही है और जागरूकता बढ़ रही है और वहीं दूसरी तरफ बच्चों में शिक्षा का भाव और ललक पढ़ने की उम्मीदें भी बढ़ रही है जो बच्चों के अंदर एक दूसरे को मदद करने की सोशल भावना गांव से लेकर शहरों तक फैल रहा है. जो भारत के 73 साल आजादी के बाद देश की 100% लिटरेसी रेट नहीं हो पाया. वह आज अशिक्षित बच्चों में शिक्षा का भाव जगाने के लिए हेलमेट मैन कर रहा है. आज इस अभियान से बहुत माता पिता की सोच बदली है जिनके घरों के चिराग बचाने के लिए हेलमेट मैन पुरानी पुस्तक से हेलमेट दिया आज वही लोग अपने घरों से पुस्तक निकाल कर जरूरतमंद बच्चों को किताबे दे रहे हैं. नहीं तो वह किताब एक कूड़े में ढेर हो जाता था लेकिन अब वही रद्दी किताब दूसरे बच्चों को जीवन में उजाला दे रही है. लेकिन दुर्भाग्य इस बात का है ऐसे व्यक्ति के कार्य और योजना को सरकार अनदेखा कर रही है. क्योंकि उसे इस कार्य को करने में राजस्व की बढ़ोतरी नहीं मिल पाएगी.
हां यह जरूर है जो पेड़ कट रहे हैं किताब छापने में और प्राइवेट स्कूलों में सिलेबस चेंज कर दिए जाते हैं प्रतिवर्ष इसका बोझ स्कूल में पढ़ने वाले गार्जियन पर असर पड़ता है. और सरकार के राजस्व में बढ़ोतरी मिलती है. और दूसरी तरफ पेड़ लगाने के नाम पर अरबों रुपए खजाने खाली कर दिए जाते हैं पर्यावरण के नाम पर.
आज उसी पर्यावरण को बचाने का कार्य हेलमेट मैन दूसरों के घर का चिराग बचाकर कार्य कर रहा है. भारत के पास इतना पैसा जरूर है दूसरे देश से हथियार खरीद लेगी लड़ाकू विमान जैसी मशीनरी लेकिन उसे यह मालूम होना चाहिए उस देश में पुस्तके चेंज नहीं होती तभी वहां के लोग सौ प्रतिशत शिक्षित हैं और शिक्षा में बिजनेस नहीं होता वहां लेकिन दुर्भाग्य है हमारे देश का शिक्षा दिन प्रतिदिन महंगी होती जा रही है क्योंकि अशिक्षित लोग बैठे हैं सरकार में. जब कोई विलुप्त होकर खत्म हो जाता है तो हमारे देश में उसकी योजनाओं और कार्यों का पिटारा बजाया जाता है टीवी चैनल और सोशल मीडिया पर जब कोई संघर्ष कर रहा होता है तो उसके साथ कोई नहीं होता यही पहचान अपने मिट्टी की हो चुकी है असलियत रंग.
हालत यह हो चुकी है किताबें बदलने से कल तक किताब से प्रेम करने वाला युवा आज मोबाइल से चिपका हुआ मिलता है परिवार.
किताबें भी रो रही है खून के आंसू
स्कूलों में लगा दो ताले जिसने
किया हमारे साथ अत्याचार.